बुधवार, 4 जून 2014

स्वर्गिक झूला



स्वर्गिक झूला
 डॉ हरदीप सन्धु
सर्द दिनों की एक  शाम का  धुँधलका      ---समय कोई पाँच साढ़े पाँच बजे …………फ़ैलता अँधेरा जुगनू की तरह जगमग बाज़ार की बत्तियाँ .... ज़रूरी ख़रीदारी  निपटाकर मैं जल्दी से कार की ओर बढ़ी। अगले ही पल मेरी कार मुख्य सड़क पर तेज़ी से जा रही थी। कुछ मिनटों के बाद मुझे लगा जैसे कि मुझे ठीक से दिखाई न दे रहा हो। बाहर दूर तक नज़र घुमाई अँधेरा अभी इतना गहरा  नहीं था  ,पर फिर भी कार चलाने में मुझे कठिनाई हो रही थी।...........  एम एस.……………मल्टीपल सक्लीरोसिस ……एक भयानक लाइलाज बीमारी ……। ख़्याल आते ही मुझे कँपकँपी से आ गई।  ''कहीं ये एम एस का हमला तो नहीं है।'' नामुराद रोग..............  न उम्र देखे..............न लिंग.............. सीधा दिमागी नसों पर हमला ..............कोई भी अंग नाकारा ..............कारण अभी तक अभेद्य।
            आँखों के सामने आ खड़ा हुआ नारकीय भय ! इतनी ठंड में भी मेरे पसीने छूटने लगे।  मेरी आँखों के आगे  पतिंगे -तारे से नाचने लगे और दिखाई देते काले धब्बे और भी बड़े और गहरे हो गए। मैंने घबराकर कार को सड़क के एक किनारे पर रोक दिया। सामने से आ रहे वाहनों की बत्तियों की रौशनी जब मेरी आँखों पर पड़ी तो मुझे अपनी गफ़लत का अहसास हुआ '' ओहो ! भला इस काले चश्मे का इस समय मेरी आँखों पर क्या काम ?" बोझिल सोच की परछाईं में कार में बैठते समय ये चश्मा कब मेरी आँखों पर आ बैठा ,पता ही नहीं चला।  अपने -आप ही मेरे हाथ चश्मा उतारने के लिए बढ़े। मेरी उलझी साँसों को राहत मिली ।मैं बाल-बाल जो बच गई थी ।
स्वर्गिक झूला
तीखी धूप के बाद
हवा का झोंका।
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9 टिप्‍पणियां:

  1. सच! कभी-कभी हम कैसे भुलक्कड़ हो जाते हैं... और अपनी भूल याद आने पर, उसे सुधार कर कितना स्वर्गिक एहसास होता है ! :-)
    बहुत सुन्दर हाइबन !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. ओह ..हरदीप जी ! साँस में साँस आई पूरा पढ़कर !!

    सचमुच आपने पहले तीखी धूप का फिर हवा के शीतल झोंके का अहसास करा दिया ...सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई !!!
    शुभ कामनाओं के साथ
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. वाह हरदीप जी छोटी सी भूल पर इतना बढ़िया हाइबन ! और भूल सुधारने से प्राप्त हुए आन्नद पर लिखा हाइकु तो लाजवाब है ....हार्दिक बधाई !

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  4. वाह बहुत सुंदर लिखा....मनोस्थिति कभी कभी ऐसी हो जाती हैं......ज़िंदगी की आपाधापी में।

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  5. चित्रात्मक सुंदर रचना .
    हार्दिक बधाई दीदी हरदीप जी .

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  6. apake haiban ne to kisi bhulbhulaiya me phanse rahi ko sidhi.sadak par lakar khada kar diya.. sadak bhi aisi jahan ashvasti ki kirane hi kirane bikhari hon. bhul ka ahsas aur sudhar- bad ek shukhad anubhav. mujhe bhi sukh de gaya. kisi ke jeevan men ane vale andhere ko xan bhar men roshani gher le yahi kmana hai.
    pushpa mehra.

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  7. are bahan jan hi nikal di ....ant me ja kar laga chalo bhagvan sab theek hai fir hasi bhi aayi
    sunder likha hai bahan
    badhai
    rachana

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  8. बहुत मजेदार-सा...होता है अक्सर ऐसा सबके साथ...| सचमुच बड़ी राहत मिलती है...|
    सुन्दर हाइबन के लिए हार्दिक बधाई...|

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