सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

किरचों की ज़मीन



सुनीता अग्रवाल
1
रखना पग
मेरे मन -प्रांगण
थोड़ा सम्हल
किरचों की ज़मीन
कर दे न घायल .

5 टिप्‍पणियां: