डॉ सरस्वती
माथुर
मन की डोरी
जीवन सुधियों से
बाँध पिरोई
फिर देहरी पर
नेह दिया जलाया।
2
नीर न रोको
अविरल नैंनों से
बहने भी दो
मन -नदी
गहरी
समा लेंगी यादों
को।
3
थाम जो लोगे
जीवन पथ पर
हाथ हमारा
मन-ताल खिलेंगी
कलियाँ कमल की ।
4
तितली- मन
फूलों को चूमकर
रस है पीता
रंग बटोरकर
जीवन पूरा जीता।
5
चाँद - चाँदनी
मधुर संबंधों की
एक है डोरी
नेह का बंधन है-
जानती है चकोरी ।
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अतिसुन्दर रचनाएँ !
जवाब देंहटाएंडॉ. सरस्वती माथुर को शुभकामनायें …
Beautiful dream for future and life
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर ताँका ।
जवाब देंहटाएंबधाई ।
सुन्दर, भावपूर्ण तांका, सरस्वती जी को बधाई |
जवाब देंहटाएंBahut Khub! Hardik badhai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, भावपूर्ण तांका….
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर ,मधुर ताँका !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई सरस्वती जी !
भावपूर्ण और मनभावन तांका के लिए हार्दिक बधाई...|
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