रविवार, 12 अप्रैल 2015

बस हमारे लिए !



 शशि पाधा
1
तुम कहो, तो
आज फिर कह दूँ
मन की बात
अभी बाकी है रात
निभा पाओगे साथ ?
2
तुम सुनो,तो
आज फिर सुनाऊँ
मौन के गीत
अंतर्मन संगीत
सुनोगे मनमीत ?
3
बस थाम लो
मेरे काँपते हाथ
शिथिल गात
आज चुप रहना
कुछ भी ना कहना ।
4
आज मौसम
फिर हुआ वासन्ती
हँसी दिशाएँ
हवा गुनगुनाएँ
बस हमारे लिए !
-0-




8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर , मधुर प्रस्तुति ..

    हार्दिक बधाई दीदी !

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  2. बहुत प्यारे... मधुर ताँका !
    हार्दिक बधाई... शशि दीदी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  3. शशि जी ने प्यार सी कोमल अनुभूतियों को बहुत संदर धंसे अभिव्यक्त किया है. ह्रदय को छूने वाली रचनाएं. -सुरेन्द्र वर्मा

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  4. तुम सुनो,तो
    आज फिर सुनाऊँ
    मौन के गीत
    अंतर्मन संगीत
    सुनोगे मनमीत ?

    Bhaut khub!

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