सोमवार, 20 अप्रैल 2015

पथराए नयन



[परिचय में कुछ खास नहीं कोई उपलब्धि नहीं । जन्म पंजाब विभाजन पूर्व शिक्षा मैट्रिक तक, पश्चिम बंगाल कार्यरर , गृहिणी अब  निवास यूके  में ।॥ढने लिखने का शौक आपकी पत्रिका देखी प्रयास कर रही हूँ कुछ लिखने का। बूद में सागर भरने वाली हाइकु विधा पसंद आई। जीवन के अन्तिम  चरण में हिन्दी साहित्य में अपना योगदान देना  चाहती  हूँ]
कमला घटाऔरा
 

1
सीरिया पुत्री
पथराए नयन
बाहें उठाए
सिसकी डरी डरी
कहे मारना नहीं।
2
उदासी छोड़
दुःख सुख के रंग
सब के संग
रात रोई जब भी
आये हँसता दिन।
3
अद्भुत दृश्य
खड़ी पानी में माएँ
गोद में शिशु
सीखा रही तैरना
प्रारम्भ हुआ शिक्षण।
-0-
(यहाँ यू के में माताएँ शिशुओं को दो तीन माह का होते ही तैरना सिखाने चल पड़ती हैं। )

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर ताँका ! बहुत अच्छा लगा पढ़कर ! दिल को छू गए।
    हार्दिक बधाई आपको !
    (कहते हैं नन्हें बच्चे जल्दी तैरना सीख जाते हैं। अच्छा है यदि वहाँ माएँ इतनी सजग हैं इस मामले में तो ! )

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. सुन्दर भाव लिए बहुत सुन्दर ताँका !
    बहुत - बहुत बधाई आपको !!

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. बहुत सुन्दर रचनाएँ!
    शुभकामनायें ....

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  4. उदासी छोड़
    दुःख सुख के रंग
    सब के संग
    रात रोई जब भी
    आये हँसता दिन।
    ati uttam
    sunder bhavon se bhare shabd
    badhai
    rachana

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  5. उदासी छोड़
    दुःख सुख के रंग
    सब के संग
    रात रोई जब भी
    आये हँसता दिन।
    बहुत सुन्दर भाव...| हार्दिक बधाई...|

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