गुरुवार, 7 मई 2015

कुछ कर दिखाओ



1-कुछ कर दिखाओ
   सपना मांगलिक

कुछ कर दिखाओ
दर्द में भी क्यों
तुम अश्क बहाओ
चार दिनों का
अपना है जीवन
यूँ मुस्कुराके
गीत प्रेम के गाओ
देखो न पीछे
क्या तुम छोड़ आए ?
वक्त नया है
इतिहास पढ़ो न
पीछे ले जाए
इतिहास रचाओ
हो समर्थ तो
तुम्हे सब मिलेगा
हिम्मत रखो
डूबके सागर से
मोती मिलेगा
हाथ पे हाथ रख
तुम   बैठो
कर्मठ बन जाओ
मिले सलामी
जग भर से तुमको
रखो भरोसा
खुद पर मानुष
कुछ कर दिखाओ
-0-
2-गीता का ज्ञान
सपना मांगलिक

गीता का ज्ञान
मिटाता है अज्ञान
जीवन जीना
दूसरों की खातिर
न्याय के लिए
अन्याय से लड़ना
हो गलत जो
अगर अपने भी
युद्ध करना
न पीछे को हटना
कर्म तू कर
फल की फ़िक्र न कर
बड़ा है सत्य
रिश्ते सभी हैं छोटे
जो भी मन पे
लगाम है लगाता
विजय वही
हर कार्य में पाता,
न तेरा कुछ
है नहीं कुछ मेरा
जग सारा है
एक रैन बसेरा
आज यहाँ है
कल जाने कहाँ हो
लाया न कुछ
न लेकर जाएगा
जो बोया तूने
वो ही तू पाएगा
पढ़ ले गीता
गीता सार कहता-
जो भी मनुष्य
सत्य पर चलता
मुश्किलों से वो
बच ही  निकलता
भव पाश से
वह मुक्त हो जाता
कृपा प्रभु की
सदा मिलती उसे
गीता -ज्ञान जो पाता
-0-
एफ-६५९ कमला नगर आगरा २८२००५
फोन-९५४८५०९५०८ ईमेल sapna8manglik@gmail
 -0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सीख देते चोका....सपना जी बधाई!

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  2. सुन्दर रचनाएं!
    सपना जी अभिनन्दन!

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  3. सपना जी , सुन्दर अभिवयक्ति | बधाई आपको

    शशि पाधा

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  4. दोनों चोका बहुत सुंदर एवं प्रेरक !
    हार्दिक बधाई... सपना मांगलिक जी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. उदात्त भाव भरे सुन्दर चोका ! हार्दिक बधाई सपना जी !!

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