डॉ सरस्वती
माथुर
1
है पिंजरे में तोता
तेरी यादों में
दिल मेरा है रोता l
2
चंदा बन कर आते
कैसे काटेंगे
काली काली रातें l
3
सूना मेरा आँगन
दर्द
भरा इतना
हौले से छूना मन l
4
4
हैं मन पे भी पहरे
घाव
लगे थे जो
हैं वे भी तो गहरे।
5
नभ का तू
है तारा
मीठी यादों की
मन में बहती धारा l
6
मन की बातें खोलो
जब जी चाहे तुम
जी भर कर के रोलो l
7
मन में बहता झरना
जब जी चाहे तुम
याद हमें
भी करना l
8
हैं यादों की कड़ियाँ
कैसे खोलें हम
मन की उलझी लड़ियाँ
9
लंबी -लंबी रातें
यादों में
गूँजें
तेरी
मीठी बातेंl
10
सूनी -सूनी शामें
समझ नहीं आता
मन को कैसे थामें l
11
हम मिलने को तरसे
सावन आया तो
नैना क्यों
थे बरसे ?
12
रीते- रीते बादल
मन भी प्यार -भरा
भीगा -भीगा आँचल l
-0-
sundar madhur bhav bhare maahiyaa ..haardik badhaaii !
जवाब देंहटाएंमनभावन माहिया सरस्वती जी , बधाई आपको |
जवाब देंहटाएंशशि पाधा
खूबसूरत मनमोहक माहिया सरस्वती जी.... बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिया !
जवाब देंहटाएंसरस्वती जी अभिनन्दन!
सभी माहिया बहुत सुंदर, मार्मिक !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई... सरस्वती जी।
~सादर
अनिता ललित
माहिया मे बिरहा और वैराग का सुंदर चित्रन है । बधाई !
जवाब देंहटाएंDard bhare,akelapan ko darsate mahiya man ko sparsh kar gaye meri bahut sari shubkamnayen ...
जवाब देंहटाएंहिन्दी हाइकु के पुरोधा डॉ भगवतशरण अग्रवाल जी की मेल से प्राप्त टिप्पणी
जवाब देंहटाएंSubject: Re: आज त्रिवेणी में डॉ सरस्वती माथुर के माहिया
Saraswati mathur ke mahiyaon he DL chhoo liya. Ashirvad . bsagrawal
bahut khoobsurat mahiya sarswati ji!..badhai aapko .
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाले माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई...|
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