रविवार, 14 जून 2015

हैं मन पे भी पहरे



डॉ सरस्वती  माथुर 
1

है पिंजरे में तोता

तेरी यादों में

दिल मेरा है रोता l

2

चंदा बन कर आते

कैसे काटेंगे 

काली काली रातें l

3

सूना मेरा आँगन

दर्द  भरा इतना

हौले से छूना मन l
4


हैं मन पे भी पहरे 

 घाव लगे  थे  जो 

हैं वे भी तो  गहरे



5

नभ का तू  है तारा

मीठी यादों की

मन में बहती धारा l

6

मन की बातें खोलो

जब जी चाहे तुम

जी भर कर के रोलो l

7

मन में बहता झरना

जब जी चाहे तुम

याद हमें  भी करना l

8


हैं यादों की कड़ियाँ

कैसे खोलें हम

मन की उलझी लड़ियाँ

9

लंबी -लंबी रातें

यादों में  गूँजें   

 तेरी मीठी बातेंl

10

सूनी -सूनी शामें

समझ नहीं आता

मन को कैसे थामें l

11

हम मिलने को तरसे

सावन आया तो  

नैना क्यों  थे  बरसे ?

12

रीते- रीते बादल

मन भी प्यार -भरा

भीगा -भीगा आँचल l

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10 टिप्‍पणियां:

  1. मनभावन माहिया सरस्वती जी , बधाई आपको |

    शशि पाधा

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  2. खूबसूरत मनमोहक माहिया सरस्वती जी.... बहुत बधाई!

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  3. बहुत सुन्दर माहिया !
    सरस्वती जी अभिनन्दन!

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  4. सभी माहिया बहुत सुंदर, मार्मिक !
    हार्दिक बधाई... सरस्वती जी।

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. माहिया मे बिरहा और वैराग का सुंदर चित्रन है । बधाई !

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  6. Dard bhare,akelapan ko darsate mahiya man ko sparsh kar gaye meri bahut sari shubkamnayen ...

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  7. हिन्दी हाइकु के पुरोधा डॉ भगवतशरण अग्रवाल जी की मेल से प्राप्त टिप्पणी
    Subject: Re: आज त्रिवेणी में डॉ सरस्वती माथुर के माहिया

    Saraswati mathur ke mahiyaon he DL chhoo liya. Ashirvad . bsagrawal

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  8. दिल को छूने वाले माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई...|

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