रविवार, 23 अगस्त 2015

खिलेंगे फूल



अनिता मण्डा

1- खिलेंगे फूल

ओह! जिंदगी
कौनसे लफ़्ज लिखे
तूने पन्नों पे
हम पढ़ न सके
तेरा लिखा ये
मिटा भी नहीं सके
जिएँ तो कैसे?
चल तू ही बता दे
कोई रास्ता तो
मंजिल का होगा ही
वही पता दे
चलने से रोकेंगे
पाँव के छाले
मुझको कब तक
बोये हैं मैंने
उम्मीदों के सपनें
आँसू से सींचे
कोई कोंपल फूटे
बढ़ें शाखाएँ
खिलेंगे कभी फूल
जिऊँगी दर्द भूल।
-0-
2- उपजाऊ खाद

लब छू कर
गई थी शबनम
ज़ायका वही
रखा है होठों पर
झूम रहे हैं
अभी भी सूखे पत्ते
उड़ हवा से
दे रहे हैं आवाज़
तो क्या हुआ कि
सूख गए हैं आज
तुम्हें दी छाँव
जब जले थे पाँव
गिरकर भी
बेकार नहीं हम
बनेंगे खाद
करेंगे उपजाऊ
उस मिट्टी को
जिसमें पनपेगी
नई पीढ़ी हमारी।
-0-

12 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय संपादक द्वय मुझे यहाँ स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार।

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  2. प्रिय अनीता जी जीवन की सच्चाई वर्णन करते हुए दोनों चोका |हार्दिक बधाई |

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, 'छोटे' से 'बड़े' - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. खिलेंगे कभी फूल
    जिऊँगी दर्द भूल।

    म बनेंगे खाद करेंगे उपजाऊ उस मिट्टी को जिसमें पनपेगी नई पीढ़ी हमारी। -0-

    donon sundr choka aashaavaadi soch

    badhai .

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  5. आप सबकी उत्साहवर्धक टिप्पणियों हेतु हार्दिक आभार।

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  6. dono choka bahut sunder hain. anita ji badhai.
    pushpa mehra.

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  7. दोनों चोका भावपूर्ण.....अनीता जी हार्दिक बधाई!

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  8. दोनों चोका बहुत भावपूर्ण ..हार्दिक बधाई अनिता जी !

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  9. दोनों चोका बेहद सुंदर एवं भावपूर्ण ! बहुत बधाई अनीता जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  10. दोनों चोका बहुत भावपूर्ण हैं...खास तौर से उपजाऊ मिट्टी...|
    हार्दिक बधाई...|

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