बुधवार, 26 अगस्त 2015

चाँदनी की चाँदनी


1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
छूकर गया
अभी मेरे मन को
है आस-पास
निर्मल झकोरे सा
तेरा रिश्ता ये ख़ास ।
2
बरसे सुधा
चाँदनी की चाँदनी
नभ बिछाए
महकी रातरानी
यूँ धरा मुस्कुराए।
3
तेरा मिलना
ज्यूँ दमकें सितारे
मन की धरा
कलियाँ खिल उठीं
आज अम्बर भरा ।
-0-


चोका
2-अनिता मन्डा

दुनिया
अँधेरी-सी सुरंग
फिर भी देखो
इसमें कई रंग
जीव पखेरू
फड़फड़ाए पाँखें
भटक रहा
करके बंद  आँखें
दुःख-काँकर
समय की गुलेल
मार रुलाए
झेल पाया है कौन?
घेरें ताउम्र
रेत के बवंडर
किश्ती डुबोने
लहरें हैं तत्पर
लगा वो पार
जिसने नहीं मानी
डर से हार
दुःख-सुख से सजी
जग- बगिया
सुख फूलों से चाहें
सब भरना
अपनी ही डलिया
दुःख के बिना
सुख का अहसास
होता न खास
धूप-छाँव से भरा
जीवन सुनहरा।
-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत ताँका और बेहद सुन्दर चोका....ज्योत्स्ना जी, अनिता मण्डा जी बधाई!

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  2. ज्योत्स्ना जी सुंदर ताँका के लिए हार्दिक बधाई।
    कृष्णा जी आभार।

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  3. sunder tanka aur choka likhe hain dono bahnon ne badhai.
    pushpa mehra

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  4. सुन्दर भाव भरा चोका अनिता जी ..हार्दिक बधाई !

    मुझे भी स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति और प्रेरक कमेंट्स के लिए आदरणीया कृष्णा दीदी , पुष्पा दीदी एवं प्रिय अनिता जी को बहुत आभार !

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  5. सुंदर ताँका हेतु बहुत-बहुत बधाई सखी ज्योत्स्ना जी !
    'तेरा रिश्ता ये ख़ास' बहुत प्यारा लगा !

    बहुत भावपूर्ण एवं प्रेरक चोका अनीता जी!
    बहुत-बहुत बधाई !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  6. ज्योत्सना जी बहुत खूबसूरत तांका रचे है| अनीता जी आपका चोका भी अति भाव पूर्ण है आप दोनों को हार्दिक बधाई |

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  7. jyotsna ji evam anita ji ,aap donon ki rachnayen bahut sundar v bhaavpurn hai...badhai dil se .

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  8. बहुत सुन्दर तांका और भावपूर्ण चोका के लिए ज्योत्स्ना जी और अनीता जी को हार्दिक बधाई...|

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  9. हृदय से आभार आप सभी का !
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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