मंगलवार, 4 अगस्त 2015

ख़ामोश खड़े पेड़



1-चोका                
सुदर्शन रत्नाकर

शीतल हवा
ख़ामोश खड़े पेड़
सूनी डगर
चहचहाते पक्षी
अद्भुत दृश्य
उषा है  जब आई
जगा आकाश
धूसर हुआ लाल
भोर जो हुई
हिमगिरि के पीछे
झाँकता रवि
नवजात किरणें
फैली है आभा
जादू ने है ज्यों बाँधा
खिले कमल
मँडरामधुप
फूल करते
गुपचुप क्या बातें
आँखें खोलते
मानव हैं जगते
वाह प्रकृति
छुप गई निराली
रजनी चाँद वाली
-0-
2-माहिया
-कृष्णा वर्मा

1
आ सावन कजरारे
सींच हिया भू का
बुझ जाएँ अंगारे।
2
मेघा आ जल बरसा
धरती ताक रही
हरियाली का रस्ता।
3
माटी का मन तरसे
महक उदास पड़ी
सावन जो ना बरसे।
4
रिमझिम सावन आ रे
धूप मिज़ाजिन का
आँचल छितरा जा रे।
5
हलकान फिरें पंछी
नहला जा सावन
रिमझिम उलटा कलसी।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ,मोहक भोर वर्णन सुदर्शन दीदी ..हार्दिक बधाई !

    सावन के मन भावन माहिया कृष्णा दीदी ..बहुत बधाइयाँ !

    सादर नमन के साथ
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  2. भोर की सुंदर छबि लेकर आया सुदर्शन जी का चोका अद्धभुत और सुनहरी किरणों की छबि दिखाई हमें।
    माहिया में कृष्णा वर्मा जी की सावन को पुकारते माहिया भी खूब जँचे। वधाई दोनों को।

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  3. Mahiya, choka dono hi bahut achhe lage saavn ko ingit karte meri hardik badhai...

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  4. प्रकृति की सुंदर-मनमोहक छटा दर्शाता चोका !
    सुंदर, भावपूर्ण माहिया ! विशेषकर--
    माटी का मन तरसे
    महक उदास पड़ी
    सावन जो ना बरसे।--- बहुत सुंदर!

    हार्दिक बधाई आ. सुदर्शन दीदी एवं कृष्णा दीदी !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. बहुत मनमोहक छटा बिखेरता चोका.....सुदर्शन जी बहुत बधाई।

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  6. बहुत सुन्दर चोका और माहिया हैं...| आप दोनों को हार्दिक बधाई...|

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