शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

नींद हुई बैरन



1-हरकीरत हीर
1
कैसी ये प्रीत हुई
नींद हुई बैरन
कटती ना रात मुई।
2
कैसे ये पीर सहें
तुझ बिन अब प्रीतम
अखियों से नीर बहे ।
3
ज़ख्मों के छाले हैं
बरसों से दिल में
यादों को पाले हैं ।
4
कैसा ये रोग लगा
हीर हुई जोगन
इक तू ही मीत सगा।
5
इश्क़ -पगा  धागा था
तोड़ दिया तूने
कुछ और न माँगा था।
6
मन के ना फूल  खिले
प्रीत वहीं खिलती
दिल भी  जिस ठौर मिले ।
7
लिख दे वो गीत पिया
रूठ गई नज़्में
जब से तू मीत गया ।
8
कैसी सौग़ात मिली
अश्क़ रहे पीते
दर्द भरी रात ढली
9
तू भी मुझ संग जगे
आ रे ,ओ चन्दा
तुझ से ही नेह लगे ।
10
तूफ़ाँ ले आते हैं
आँखों के आँसू
जो बह ना पाते हैं ।
11
साँसें अहसान बनीं
जब से तुम रूठे
खुशियाँ अनजान बनीं ।
-0-

18 टिप्‍पणियां:

  1. हीरजी आपने अपने दिल के दर्द को पूरी तरह से उँडेल दिया है। बहुत सुंदर माहिया।

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  2. भावपूर्ण लय में सधे उत्तम माहिया। हीर जी बधाई।

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  3. भैया आभार ....आपके कहने पर ही लिख पाई ..हाँ दर्द मेरा था ....

    कमला जी , शुदर्शन जी , अनीता जी , मंजू जी शुक्रिया आप सब को पसंद आये .....

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  4. मन की पीड़ा को ब्याँ करते बहुत भावपूर्ण माहिया हीर जी...बधाई!

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  5. प्रीत की डोर में बंधकर मन के हालात बयां करते माहिया |
    कैसी ये प्रीत हुई
    नींद हुई बैरन
    कटती ना रात मुई

    तूफां ले आते हैं
    आँखों के आंसूं
    जो बह नहीं पाते हैं |

    कैसी सौगात मिली
    अश्क रहे पीते
    दर्द भरी रात ढली |

    हरकीरत जी सुन्दर माहिया की रचना पर आपको हार्दिक बधाई |

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  6. हरकीरत जी, मन की पीर शब्दों में पिरोई और सुन्दर माहिया का सृजन हुआ | आपको बधाई |

    शशि पाधा

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  7. लिख दे वो गीत पिया
    रूठ गई नज़्में
    जब से तू मीत गया ।
    sunder mahiya dard ko sunder shabdon ka jama pahnaya hai
    badhai
    rachana

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  8. तूफ़ाँ ले आते हैं
    आँखों के आँसू
    जो बह ना पाते हैं ।
    Bahut Khub bahut achhe mahiya hain aapko badhai..

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  9. sabhi maahiya behad sundar!
    तूफ़ाँ ले आते हैं
    आँखों के आँसू
    जो बह ना पाते हैं..............vishesh laga!
    Harkeerat ji, shubhkaamnaayen!

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  10. preet mein page...dard mein doobe pyare mahiya
    man choo liya -
    साँसें अहसान बनीं
    जब से तुम रूठे
    खुशियाँ अनजान बनीं ।...badhai harkeerat ji !
    -

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  11. सभी माहिया बहुत ही भावपूर्ण हैं|
    मन की पीर को शब्दों का साथ मिला और दिल को छू गए सारे के सारे
    ...बहुत बधाई हीर जी को|

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  12. ज़ख्मों के छाले हैं
    बरसों से दिल में
    यादों को पाले हैं ।

    वाहहहह खूबसूरत!!अभिव्यक्ति


    लयात्मक माहिया दर्द से पगे हुए!!!!

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  13. बेहद ख़ूबसूरत माहिया ...

    तूफ़ाँ ले आते हैं
    आँखों के आँसू
    जो बह ना पाते हैं....बेहतरीन !!

    हार्दिक बधाई हीर जी !!

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  14. हीर जी भाव पूर्ण माहिया। अति सुन्दर

    सब एक से बढ़कर एक। दिल छूते हुए। बधाई

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  15. हीर जी, आपकी कलम से जब दर्द भरे शब्द झरते हैं तो जैसे पढने वाले का कलेजा चीर जाते हैं...| बहुत ही खूबसूरत माहिया...हार्दिक बधाई...|

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