रविवार, 4 अक्टूबर 2015

मिली रौशनी



अनिता मंडा
1
हरसिंगार
हर शाम सँवरे
भोर बिखरे
बाँटने को ख़ुशबू
बूँद-बूँद से झरे।
2
रूह को मेरी
अब करार आया
मिली रौशनी
बादत- किराया
हर पल चुकाया।
3
कैसे दिखते
हमको ये सितारे
इतने प्यारे
जो राह में तुम यूँ
न बिछाते अँधेरे ।
-0-

16 टिप्‍पणियां:

  1. अनीता जी रूह को मेरी अब करार आया ...... बहुत सुन्दर तांका है पूरे भाव बयां हो गए हैं इसमें |बधाई हो |

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  2. bahut sundar taanka anita ji ,rooh ko meri ab karaar aaya ..behad bhaavpurn !badhai ke saath -jyotsna pradeep

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  3. अनीता जी सुन्दर तांका .....बधाई!!!

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  4. आदरणीय मेरे ताँका को यहां स्थान देने हेतु आभार
    हीर जी, गुँजन जी, सविता जी, ज्योत्स्ना जी व ढींगरा जी
    आप सबका दिल से शुक्रिया।

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  5. बहुत बढ़िया ताँका। कितनी सुंदर बात पिरो लाया यह ताँका … कैसे दिखते /हम को ये सितारे /इतने प्यारे / जो राह में तुम यूँ / न बिछाते अँधेरे / बधाई।


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  6. बहुत सुन्दर ताँका...अनीता जी बहुत बधाई।

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  7. सुंदर तांका अनीता जी

    कैसे दीखते
    हमको ये सितारे......

    सुन्दर

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  8. सुंदर ताँका अनीता जी !
    हार्दिक बधाई आपको!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  9. हरसिंगार
    हर शाम सँवरे
    भोर बिखरे
    बाँटने को ख़ुशबू
    बूँद-बूँद से झरे।

    BAHUT PAYARA TANKA ..BAHUT BAHUT BADHAI AAPKO...

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  10. बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका !!

    रूह को मेरी ...और ...कैसे दीखते ..बहुत-बहुत अच्छे लगे ..
    रूह में सुकून और उजाला भरते ...हार्दिक बधाई अनिता जी !!

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  11. हरसिंगार
    हर शाम सँवरे
    भोर बिखरे
    बाँटने को ख़ुशबू
    बूँद-बूँद से झरे।
    क्या बात है...| हार्दिक बधाई...|

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