बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

बातें कुछ ऐसी हैं



मंजूषा मन
 माहिया
1
बातें कुछ ऐसी हैं
उसने जो बोलीं
सब मिश्री जैसी हैं ।
2
दिल के सब झूठे हैं
इनसे डरके ही
सपने सब टूटे हैं।
3
गुरुवर जो आप मिले-
मेरे जीवन में
कविता के फूल खिले।
-0-
2-ताँका
1

आँखों को मेरी

एक तो स्वप्न दे दो

पूरा जीवन

जी लूँ इस चाह में
कि सपना सच हो ।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

  1. मंजूषा जी माहिया मधुर व ताँका अति सुंदर।हार्दिक बधाई।

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  2. bahut khoobsurat mahiya v taanka manjusha ji !aapko bahutr -bahut badhai!

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  3. बहुत सुन्दर ,मधुर माहिया मंजूषा जी ..
    ताँका भी बहुत भावपूर्ण ..हार्दिक बधाई !

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  4. सुंदर माहिया एवं ताँका !
    हार्दिक बधाई मंजूषा 'मन' जी एवं कमला घटाऔरा जी।

    ~सादर
    अनिता ललित

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