गुरुवार, 7 जनवरी 2016

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1-पुष्पा मेहरा
ताँका
1
दर्दीली पाती
साथ लाया था काल
पढ़ी ना गयी
अश्रुधाराएँ  बहीं
धुले सारे आखर।
2
माँ ! अँगड़ाई
तेरी , तोड़ गयी है
विश्वास मेरा
लगता  है  ममता
माँ की हो गयी झूठी।
-0-
सेदोका
1
सनाथ हम
अनाथ हो जाते हैं
जो करती तू ध्वंस ,
माँ देती जन्म
पोषक तो  तू ही है
अब तू ही निष्ठुर !
2
वक्तचाबुक
आ पड़ता है जब
ढोते पीड़ा - पहाड़  ,
सोच न पाते
किसका था आदेश
कहाँ वो जाके छिपा !
 -0-
2-डॉ०पूर्णिमा राय
ताँका
1
खामोशी रोए
चुप्पी सही न जाए
मन भिगोए
सड़ांध फैल रही
भड़ास निकले ना।

-0-

12 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुतियाँ !
    पुष्पा जी और पूर्णिमा जी शुभकामनायें!!

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  2. बहुत सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|

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  3. पुष्पा जी और पूर्णिमा जी अच्छी प्रस्तुति है बधाई .

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  4. पुष्पा जी, पूर्णिमा जी बहुत बढ़िया ताँका और सेदोका....बधाई!

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  5. pushpa ji aur purnima ji shabdon me bhavon ko bahut sunderta se piroya hai badhai aapdono ko
    rachana

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  6. पुष्‍पा जी की दर्दीली पाती और पूर्णिमा जी की रचनाओं ने बहुत प्रभावित किया । दोनों रचनाकारों को बधाई !

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  7. ख़ामोशी रोये\चुप्पी सही न जाए\ मन भिगोए| सुंदर संवेदनाजनित अभिव्यक्ति बधाई पूर्णिमा जी|

    पुष्पा मेहरा

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  8. बधाई पुष्पा जी एवं पूर्णिमा जी भाव प्रबल रचनाओं के लिए |

    शशि पाधा

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  9. बहुत सुन्दर रचनाएँ...
    पुष्पा जी और पूर्णिमा जी शुभकामनायें!!

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  10. पोस्ट ६७३ में दिए गये मेरे ताँका पसंद करने तथा अपनी -अपनी उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया देने हेतु उपरोक्त सभी कवि रचनाकारों का हृदय से आभार |
    पुष्पामेहरा

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