1-पुष्पा मेहरा
ताँका
1
दर्दीली पाती
साथ लाया था काल
पढ़ी ना गयी
अश्रुधाराएँ
बहीं
धुले सारे आखर।
2
माँ ! अँगड़ाई
तेरी , तोड़ गयी है
विश्वास मेरा
लगता है ममता
माँ की हो गयी झूठी।
-0-
सेदोका
1
सनाथ हम
अनाथ हो जाते हैं
जो करती तू ध्वंस ,
माँ देती जन्म
पोषक तो तू
ही है
अब तू ही निष्ठुर !
2
वक्त–चाबुक
आ पड़ता है जब
ढोते पीड़ा - पहाड़
,
सोच न पाते
किसका था आदेश
कहाँ वो जाके छिपा !
-0-
2-डॉ०पूर्णिमा राय
ताँका
1
खामोशी रोए
चुप्पी सही न जाए
मन भिगोए
सड़ांध फैल रही
भड़ास निकले ना।
चुप्पी सही न जाए
मन भिगोए
सड़ांध फैल रही
भड़ास निकले ना।
-0-
बेहतरीन प्रस्तुतियाँ !
जवाब देंहटाएंपुष्पा जी और पूर्णिमा जी शुभकामनायें!!
बहुत सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|
जवाब देंहटाएंपुष्पा जी और पूर्णिमा जी अच्छी प्रस्तुति है बधाई .
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंपुष्पा जी, पूर्णिमा जी बहुत बढ़िया ताँका और सेदोका....बधाई!
जवाब देंहटाएंpushpa ji aur purnima ji shabdon me bhavon ko bahut sunderta se piroya hai badhai aapdono ko
जवाब देंहटाएंrachana
पुष्पा जी की दर्दीली पाती और पूर्णिमा जी की रचनाओं ने बहुत प्रभावित किया । दोनों रचनाकारों को बधाई !
जवाब देंहटाएंख़ामोशी रोये\चुप्पी सही न जाए\ मन भिगोए| सुंदर संवेदनाजनित अभिव्यक्ति बधाई पूर्णिमा जी|
जवाब देंहटाएंपुष्पा मेहरा
बधाई पुष्पा जी एवं पूर्णिमा जी भाव प्रबल रचनाओं के लिए |
जवाब देंहटाएंशशि पाधा
Bahut achhe lage sabhi rachnaon ke bhav meri bahut badhai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाएँ...
जवाब देंहटाएंपुष्पा जी और पूर्णिमा जी शुभकामनायें!!
पोस्ट ६७३ में दिए गये मेरे ताँका पसंद करने तथा अपनी -अपनी उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया देने हेतु उपरोक्त सभी कवि रचनाकारों का हृदय से आभार |
जवाब देंहटाएंपुष्पामेहरा