अनिता ललित
1
अश्कों से सींचा
हम याद कहाँ होंगे !
2
तुम बिन मर जाएँगे
साँसें भी अपनी
अर्पित
कर जाएँगे।
3
पीड़ा दिल की भेदी
जीते जी इसने
क्यों मौत हमें
दे दी ?
4
झूठे तेरे वादे
साथ निभाने के
बदले आज इरादे।
5
इक दर्द बसाया है
आँखों मैं मैंने
यूँ तुमको पाया है।
6
आँसू- सा छलकाया
छीन लिया मुझसे
क्यों पलकों का साया?
7
आँसू पी डाले थे
ज़ख़्म
मिले तुमसे
लफ़्ज़ों में ढाले थे।
-0-
अच्छी तरह तरासे हायकू
जवाब देंहटाएंवाह अनिता जी दर्द की अनुभूति लिए सुंदर माहिया। बधाई
जवाब देंहटाएंदिल को गहरे स्पर्श करते माहिया सखी !
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई !!
मन को सालते दर्द की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति अनिता जी बधाई|
जवाब देंहटाएंपुष्पा मेहरा
बहुत सुंदर भावपूर्ण माहियाँ ।बधाई अनिताजी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर माहिया दिल के दर्द को बयाँ करते मन को भिगोते ।बधाई अनिता जी।
जवाब देंहटाएंऔरत की संवेदना दिखती है !
जवाब देंहटाएंbhaut sundar bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंआप सभी का हार्दिक आभार ! यूँ ही उत्साह बढ़ाते रहिये !
जवाब देंहटाएं~सादर
अनिता ललित
behad sundar rachnayen!
जवाब देंहटाएंAnita ji shubhkamnayen!!
बहुत सुंदर भावपूर्ण माहियाँ ।बधाई अनिताजी।
जवाब देंहटाएंदर्द की अनुभूति को दर्शाते खूबसूरत माहिया अनीता जी बधाई हो ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अनिताजी।
जवाब देंहटाएंसम्वेदनात्मक और सुन्दर माहिया के लिए बहुत बधाई...| ख़ास तौर से ये वाला बहुत भाया-
जवाब देंहटाएंझूठे तेरे वादे
साथ निभाने के
बदले आज इरादे।