शनिवार, 28 मई 2016

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हरकीरत ‘हीर’
1
नैनों से नीर बहे
तुझ बिन ये साजन
अखियाँ हैं पीर सहें
2
तुम लौट पिया आना
रूठ कभी मुझको
यूँ छोड़ नहीं जाना
3
तू ही मेरा अपना
और नहीं दूजा
इन   अँखियों का सपना
4
निंदिया भी रूठ गई
जब से तुम रूठे
पायल भी टूट गई
5
सूनी सूनी रातें
पल -पल याद करूँ
प्यारी- प्यारी बातें
6
अँखियाँ भर भर आएँ
पल- पल झरते ये
अँसुअन बिरहा गाएँ ।
7
छत पर कागा बोले
आजा अब माही
मनवा मोरा डोले
8
बन इक दूजे के हम
संग सदा रहके
बाँटेंगे अपने ग़म  ।

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15 टिप्‍पणियां:

  1. मनोव्यथा कहते भावपूर्ण माहिया----- हरकीरत जी बहुत बधाई!

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  2. प्रेम भाव से पगे पगे सुंदर माहिया जी हर कीरत जी |

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  3. प्रेम रस से भरी विरही मन की पुकार बहुत मन भायी हरकीरत जी बधाई |

    पुष्पा मेहरा

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  4. आभार भैया स्थान देने के लिए .....कृष्णा जी, शशी जी , पुष्प जी पसंदगी के लिए आभार ....

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  5. हरकीरतजी सुंदर भावपूर्ण माहिया ।बधाई।

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  6. साजन की याद में रचे सुन्दर माहिया हैं हकीरत जी हार्दिक बधाई |

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  7. वियोग से शृंगारित बहुत सुंदर माहिया ...
    हार्दिक बधाई !

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया, हार्दिक बधाई।

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  9. बहुत सुन्‍दर भावपूर्ण माहिया हार्दिक बधाई।

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  10. विरह रस से परिपूर्ण माहिया बहुत भाव भरे हैं । दिल को छू गये । निंदिया भी रूठ गई / जब से तुम रूठे / पायल भी टूट गई । हार्दिक बधाई हरकीरत जी ।

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  11. बेहतरीन माहिया...शुभकामनाएं...

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  12. बेहतरीन माहिया...शुभकामनाएं...

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  13. viyog or prtiksha se lipt mahiya man ko bahut bhaye meri shubhkamnayen...

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  14. बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया, हार्दिक बधाई।

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