हरकीरत ‘हीर’
1
नैनों से नीर बहे
तुझ बिन ये साजन
अखियाँ हैं पीर सहें ।
2
तुम लौट पिया आना
रूठ कभी मुझको
यूँ छोड़ नहीं जाना ।
3
तू ही मेरा अपना
और नहीं दूजा
इन अँखियों का सपना
4
निंदिया भी रूठ गई
जब से तुम रूठे
पायल भी टूट गई
5
सूनी सूनी रातें
पल -पल याद करूँ
प्यारी- प्यारी बातें
6
अँखियाँ भर भर आएँ
पल- पल झरते ये
अँसुअन बिरहा गाएँ ।
7
छत पर कागा बोले
आजा अब माही
मनवा मोरा डोले ।
8
बन इक दूजे के हम
संग सदा रहके
बाँटेंगे अपने ग़म ।
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मनोव्यथा कहते भावपूर्ण माहिया----- हरकीरत जी बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंप्रेम भाव से पगे पगे सुंदर माहिया जी हर कीरत जी |
जवाब देंहटाएंप्रेम रस से भरी विरही मन की पुकार बहुत मन भायी हरकीरत जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
आभार भैया स्थान देने के लिए .....कृष्णा जी, शशी जी , पुष्प जी पसंदगी के लिए आभार ....
जवाब देंहटाएंहरकीरतजी सुंदर भावपूर्ण माहिया ।बधाई।
जवाब देंहटाएंसाजन की याद में रचे सुन्दर माहिया हैं हकीरत जी हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंवियोग से शृंगारित बहुत सुंदर माहिया ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई !
बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया, हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण माहिया हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंविरह रस से परिपूर्ण माहिया बहुत भाव भरे हैं । दिल को छू गये । निंदिया भी रूठ गई / जब से तुम रूठे / पायल भी टूट गई । हार्दिक बधाई हरकीरत जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन माहिया...शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन माहिया...शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंviyog or prtiksha se lipt mahiya man ko bahut bhaye meri shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया, हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारे माहिया...बहुत बधाई...|
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