सोमवार, 20 जून 2016

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शशि पाधा
 1
जब चुभती घाम हुई
अम्बर डोल गया
तारों की छाँव हुई ।
 2
द्वारे पर आहट है
साँकल खुलती ना  
कैसी घबराहट है ।
3
कुछ मन था भरमाया
रात अकेली थी
लो, चाँद चला आया ।
 4
मौसम भी भीग गया  
धरती ओस -जड़ी
अम्बर भी रीझ गया  ।
 5
मत समझो छोटी -सी
प्रीत सहेजी है
सीपी में मोती -सी ।
 6
चाँदी में जड़नी है
प्रीत नगीने -सी
बिंदी में मढ़नी है ।
 7
कोई हेरा-फेरी ना
बिंदी माथे की
बस तेरी, मेरी ना ।
8
जग ने यह जान लिया
चन्दन -खुशबू का
नाता पहचान लिया ।
9
मन आज कबीरा सा
प्रेम चखा जबसे
बाजे मंजीरा सा ।
 -0-

13 टिप्‍पणियां:

  1. सभी माहिया भावपूर्ण, 1 और 2 बहुत भाये... बधाई शशि जी को !

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  2. सभी माहिया भावपूर्ण, 1 और 2 बहुत भाये... बधाई शशि जी को !

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  3. शशि जी भावपूर्ण सुन्दर माहिया ?यह वाला तो इतना जँचा कि मन नाच उठा - मन आज कबीरा सा / प्रेम चखा जबसे / बाजे मंजीरा सा । हार्दिक बधाई ।

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  4. प्रीत जताते सभी अप्रतिम माहिया
    बधाई

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  5. बहुत सुंदर सरस माहिया शशि जी बधाई |

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  6. बहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया शशिजी

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  7. धन्यवाद आप सब स्नेही मित्रों का

    शशि पाधा

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  8. मन आज कबीरा सा
    प्रेम चखा जबसे
    बाजे मंजीरा सा ।
    बहुत सुंदर !!
    बहुत भावपूर्ण माहिया शशि जी हार्दिक बधाई

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  9. मन आज कबीरा सा
    प्रेम चखा जबसे
    बाजे मंजीरा सा ।

    बहुत ही सुंदर माहिया। अन्य सभी छंदों ने भी प्रभावित किया। बधाई शशि जी

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  10. वाह बहुत बढ़िया माहिया की रचना की है शशि जी हार्दिक बधाई |

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  11. sadaa kii tarah ...

    bahut sundar bhaavpoorn maahiyaa diidii ... haardik badhaaii !!

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  12. सभी माहिया बहुत अच्छे लगे, पर ये सबसे ज्यादा मन को भाया...|
    कुछ मन था भरमाया
    रात अकेली थी
    लो, चाँद चला आया ।
    हार्दिक बधाई...|

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