1-कृष्णा
वर्मा
1
खुशियाँ बेताज हँसी
चंद खिलौनों का
बचपन मोहताज नहीं।
2
ना गीत- ग़ज़ल सोहे
अब तो आठ पहर
प्राणों में सुधि रोए।
3
लड़ने से कब जीता
दोनों हार गए
इक बिखरा इक टूटा।
4
जब से अपना छूटा
बाहर-परत वही
भीतर-भीतर टूटा।
5
माँ छोड़ न तू डोरी
बचपन ज़िंदा रख
ना मरने दे लोरी।
-0-
2- धरा
का आलिंगन
डॉ.पूर्णिमा राय
1
1
बरसे बदरा
छमाछम झंकार
प्रमुदित भू
पत्तों के आँचल पे
दिखें बूँदें मोती- सी !!
छमाछम झंकार
प्रमुदित भू
पत्तों के आँचल पे
दिखें बूँदें मोती- सी !!
2
श्वेत उज्ज्वल
हुआ नभ आँगन
बरसात में
छलक पड़ा घड़ा
याद कोहराम से !!
हुआ नभ आँगन
बरसात में
छलक पड़ा घड़ा
याद कोहराम से !!
3
गहरे छिपे
अंतस की बात में
हुए प्रत्यक्ष
वर्षा की सौगात से
हो मधुर मिलन !!
अंतस की बात में
हुए प्रत्यक्ष
वर्षा की सौगात से
हो मधुर मिलन !!
4
सूनी बगिया
सजी हरीतिमा से
नाचे डालियाँ
सकुचाई लजाई
जैसे नवयौवना !!
सजी हरीतिमा से
नाचे डालियाँ
सकुचाई लजाई
जैसे नवयौवना !!
5
मिला गगन
धरा का आंलिगन
भरा जल से
जब बादल बरसे
तृप्त हुई आत्माएँ !!
-0-धरा का आंलिगन
भरा जल से
जब बादल बरसे
तृप्त हुई आत्माएँ !!
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकृष्णा वर्मा जी के भावप्रणव माहिया बहुत मृदुल हैं । बधाई कृष्णा जी । प्रकृति की सर्गिक सुन्दरता के सुन्दर सदोका 'धरा का आँगन ' के लिए बहुत बधाई पूर्णिमा जी । माहिया ,सदोका दोनों भाए ।
जवाब देंहटाएंकृष्णा वर्मा जी के भावप्रणव माहिया बहुत मृदुल हैं । बधाई कृष्णा जी । प्रकृति की सर्गिक सुन्दरता के सुन्दर सदोका 'धरा का आँगन ' के लिए बहुत बधाई पूर्णिमा जी । माहिया ,सदोका दोनों भाए ।
जवाब देंहटाएंआभार विभा जी..ये ताँका रचना है...
हटाएंआभार विभा जी..ये ताँका रचना है...
हटाएंमाँ छोड़ न तू डोरी
जवाब देंहटाएंबचपन ज़िंदा रख
ना मरने दे लोरी।
बेहद सुंदर माहिया..कृष्णा वर्मा जी
माँ छोड़ न तू डोरी
जवाब देंहटाएंबचपन ज़िंदा रख
ना मरने दे लोरी।
बेहद सुंदर माहिया..कृष्णा वर्मा जी
लड़ने से कब जीता
जवाब देंहटाएंदोनों हार गए
इक बिखरा इक टूटा।
कृष्णा वर्मा जी बहुत सुंदर माहिया
पूर्णिमा जी बहुत सुंदर सृजन हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंकृष्णाजी बहुत सुंदर माहिया।
जवाब देंहटाएंपूर्णिमाजी प्राकृतिक छटा बिखेरते बहुत सुंदर ताँका
आप दोनों को हार्दिक बधाई।
सुंदर भावपूर्ण माहिया एवं ख़ूबसूरत प्राकृतिक छटा बिखेरते ताँका!
जवाब देंहटाएंआ. कृष्णा दीदी एवं डॉ. पूर्णिमा राय जी को हार्दिक बधाई !!!
~सादर
अनिता ललित
कृष्णा जी और डॉ पूर्णिमा जी को भावपूर्ण माहिया और ताँका की रचना के लिए बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंलड़ने से कब जीता
जवाब देंहटाएंदोनों हार गए
इक बिखरा इक टूटा। सुंदर भाव कृष्णा जी हार्दिक बधाई।
गहरे छिपे
अंतस की बात में
हुए प्रत्यक्ष
वर्षा की सौगात से
हो मधुर मिलन !!बहुत सुंदर डॉ पूर्णिमा जी हार्दिक बधाई।
आभार ....सुनीता जी,सदर्शन रत्नाकर जी,अनिता ललित जी,सविता जी,पूनम जी,कश्मीरी लाल जी
जवाब देंहटाएंआभार ....सुनीता जी,सदर्शन रत्नाकर जी,अनिता ललित जी,सविता जी,पूनम जी,कश्मीरी लाल जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मोहक ताँका! डा. पूर्णिमा राय जी हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंमोहक माहिया और तबीयत खुश कर देने वाले तांका रचना कारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंमोहक माहिया और तबीयत खुश कर देने वाले तांका रचना कारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut bhavpurn bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिया और तांका रचनाएँ !
जवाब देंहटाएंआ कृष्णा दी एवं डॉ. पूर्णिमा राय जी को बहुत -बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंकृष्णा जी और डॉ पूर्णिमा जी को भावपूर्ण माहिया और ताँका की रचना के लिए बहुत -बहुत बधाई ।!!
कृष्णा जी और पूर्णिमा जी...इतने अच्छे माहिया और तांका के लिए ढेरों बधाई स्वीकारें...|
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