बुधवार, 1 मार्च 2017

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डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
वो राग बजाना है
सूखे अधरों पर
अब गीत सजाना है।
2
मौसम अरमानों का
होंठों को देगा
गहना मुस्कानों का !
3
क्या खूब इरादा था
याद करो , जल्दी
मिलने का वादा था !
4
जाने क्या बोल गईं
कंगन ,पैंजनियाँ
बातें सब खोल गईं !
5
इन काली रातों में
खूब उजाले हैं
प्रियतम की बातों में !
6
दुख तो कम करती हैं
नयनों से बादल से
बूँदें जब झरती हैं !
7
रीती क्यों गागर है
सूखी है नदिया
तृष्णा का सागर है !
8
माँझी से प्यार नहीं
हरि-सुमिरन की भी
थामी पतवार नहीं !
-0-

20 टिप्‍पणियां:

  1. मौसम अरमानों का
    होंठों को देगा
    गहना मुस्कानों का !

    विशेष लगा

    बहुत ही सुंदर माहिये।

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  2. क्या खूब माहिया हैं...बहुत प्यारे । सु.व.।

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  3. उत्कृष्ट माहिया हैं.
    बधाई

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  4. डॉ ज्योत्सना जी बहुत खूब सूरत माहिया हैं बधाई हो |

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  5. छठा माहिया जाँच लें...दूसरी पंक्ति में 12 वर्ण हैं..

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  6. बहुत ख़ूबसूरत माहिया ज्योत्स्ना जी... बधाई।

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  7. बहुत सुंदर सार्थक माहिया सखी ..हार्दिक बधाई

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  8. सुंदर, भावपूर्ण माहिया सखी ! बहुत बधाई आपको इस सृजन हेतु !!!

    ~सस्नेह
    अनिता ललित

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  9. ज्योत्सना जी वाह ! एक से बढ़कर एक माहिये । देखिये तो छटा - मौसम अरमानों का / होठों को देगा / गहना अरमानों का । बहुत सारी बधाई ।

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  10. खूबसूरत , भावपूर्ण माहिया सखी ! हार्दिक बधाई आपको !!!

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  11. खूबसूरत , भावपूर्ण माहिया सखी ! हार्दिक बधाई आपको !!!

    ज्योत्सना प्रदीप

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  12. आप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार !
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  13. शुक्रिया पूर्णिमा जी , ठीक कर लूँगी |

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  14. बेहतरीन भावपूर्ण माहिया ज्योत्सना जी। बधाई।

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