डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
वो राग बजाना है
सूखे अधरों पर
अब गीत सजाना है।
2
मौसम अरमानों का
होंठों को देगा
गहना मुस्कानों का !
3
क्या खूब इरादा था
याद करो , जल्दी
मिलने का वादा था !
4
जाने क्या बोल गईं
कंगन ,पैंजनियाँ
बातें सब खोल गईं !
5
इन काली रातों में
खूब उजाले हैं
प्रियतम की बातों में !
6
दुख तो कम करती हैं
नयनों से बादल से
बूँदें जब झरती हैं !
7
रीती क्यों गागर है
सूखी है नदिया
तृष्णा का सागर है !
8
माँझी से प्यार नहीं
हरि-सुमिरन
की भी
थामी पतवार नहीं !
-0-
मौसम अरमानों का
जवाब देंहटाएंहोंठों को देगा
गहना मुस्कानों का !
विशेष लगा
बहुत ही सुंदर माहिये।
सुंदर सृजन। बधाई।
जवाब देंहटाएंक्या खूब माहिया हैं...बहुत प्यारे । सु.व.।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट माहिया हैं.
जवाब देंहटाएंबधाई
डॉ ज्योत्सना जी बहुत खूब सूरत माहिया हैं बधाई हो |
जवाब देंहटाएंवाहहह!!
जवाब देंहटाएंDr Jyotsna ji
छठा माहिया जाँच लें...दूसरी पंक्ति में 12 वर्ण हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत माहिया ज्योत्स्ना जी... बधाई।
जवाब देंहटाएंBahut sundar mahiya, badhayi jyotsna ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक माहिया सखी ..हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर, भावपूर्ण माहिया सखी ! बहुत बधाई आपको इस सृजन हेतु !!!
जवाब देंहटाएं~सस्नेह
अनिता ललित
खूबसूरत माहिया...बहुत बधाई...|
जवाब देंहटाएंAchha limh rahe hain aap bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंज्योत्सना जी वाह ! एक से बढ़कर एक माहिये । देखिये तो छटा - मौसम अरमानों का / होठों को देगा / गहना अरमानों का । बहुत सारी बधाई ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत , भावपूर्ण माहिया सखी ! हार्दिक बधाई आपको !!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत , भावपूर्ण माहिया सखी ! हार्दिक बधाई आपको !!!
जवाब देंहटाएंज्योत्सना प्रदीप
आप सभी सुधीजनों का हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
शुक्रिया पूर्णिमा जी , ठीक कर लूँगी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावपूर्ण माहिया ज्योत्सना जी। बधाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भावना जी 🙏
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