शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

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1-डॉ0 सुरंगमा यादव
1-बीत ही जाती रात

रात सुहानी
चाँदनी में मुखड़ा
धोकर आई
सितारों की चुनरी
ओढ़, उतरी
मुख पर है सजी
चंदा की बेंदी
खुशियाँ  हैं  बिखरीं
चारों  ही ओर
सब लगे मगन
धरा-गगन
साकार हुए सब
मन के स्वप्न
अधिक न ठहरा
स्वर्णिम काल
खोई  चाँदनी रात
घिरा अँधेरा
रूप-शृंगार सब
चित्र; रमेश गौतम
गया बिखर
गुम हो गए सारे
उजले तारे
पथ को आलोकित
करने वाले
पर न रुकी रात।
गहरा तम
या फैला हो उजास
कुछ भी मिले
करके आत्मसात्
बीत ही जाती रात
-०-
2-पिया घर आ

घिरी घटाएँ
मनभावन बरखा
टूट न रहीं
सावन की झड़ियाँ
मन बेचैन
काटूँ कैसे घड़ियाँ
बूँद-बूँद से
मैं करूँ गुजारिश-
पिया के पास
जा करे सिफारिश
पिया घर आ
ले पवन झकोरे
डोले मनवा
सपनों का पलना
कैसे  मैं झूलूँ
पिया मन आँगन
बरसो मेघ
उनका भी अन्तस्
व्यग्र हो उठे
हो मधुर मिलन
घर आयें सजन।
-0-
3- आँसू के मोती

गहरी नींद
धरा माता की गोद
सोऊँ निश्चिन्त
भूलूँ सब क्रीड़ाएँ
आँसू पीड़ाएँ
तारों में छिपकर
देखूँ जग को
नभ के आर- पार
करूँ विहार
इन्द्रधनुषी रंग
करूँ रंगीन
सभी अधूरे स्वप्न
आसूँ के मोती
जग रहा टाँकता
नारी के आँचल में
-0-
डॉ0 सुरंगमा यादव,असि0 प्रो0 हिन्दी,महामाया राजकीय महाविद्यालय महोना , लखन
-०-

2-पूर्वा शर्मा
1
मेरी सब  साँसों में
तू ही बसता है
मेरी इन आँखों में ।
2
बूँदें करती बातें
कितनी प्यारी थी
वो फुरसत की रातें ।
3
बादल घिर आते हैं
प्यास बुझाते हैं
हरियाली लाते हैं ।
4
फूलों के खिलने से
सब हैं झूम रहे
बूँदों के मिलने से ।
5
पतझड़ की शाम रही
तेरी वे  बाँहें
मुझको थाम रही।
6
कोयल क्या कहती है?
साजन हैं आए
अब चुप ना रहती है ।
7
कितना तड़पाते हो
ख़्वाबों में आके
हर रोज़ रुलाते हो ।
8
ये मन भी बहक रहा 
तन के तारों में
बस तू ही महक रहा
9
फूलों में कलियों में
तुमको पाया है
जीवन की गलियों में ।

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुरंगमा जी एवं पूर्वा जी को बहुत बहुत बधाई, सुन्दर रचनाओं के लिए।

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  2. सुरंगमा और पूर्वा दोनों की रचनाएँ ताज़गी लिए हुए है । उत्कृष्ट लेखन के लिए दोनों को बधाई ।

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  3. ताका चोका -सेदोका -माहिया-हाई बन की शानदार रचनाओं के लिये दोनों को बधाई ।

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  4. सुन्दर , मनभावन प्रस्तुति !
    दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई |

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  5. वर्षा के माध्यम से प्रिय की पुकार ,अस्थाई और स्थाई का निरूपित सौन्दर्य बताता चोका भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है ,
    पूर्वा जी के माहिया भी प्रेम का सुंदर निरूपण हैं ,दोनों को बधाई
    पुष्पा मेहरा

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  6. आप सभी के प्रति हृदय तल से आभारी हूँ।

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  7. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति सुरंगमा जी ... हार्दिक बधाई
    मेरे कच्चे-पक्के माहिया शामिल करने एवं मुझे प्रोत्साहित करने के लिए सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
    पूर्वा शर्मा

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  8. सुरंगमा जी और पूर्वा जी को सुंदर सृजन के लिए बहुत बधाई।

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  9. बहुत खूब!!! दोनों रचनाकारों को बधाई!!!
    - डाॅ. कुँवर दिनेश सिंह

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  10. सुरंगमा जी तीनों चोका बहुत सुन्दर है प्रकृति के साथ प्रेम की अभिव्यक्ति ।हार्दिक वधाई ।
    पूर्वा जी माहिया की सुन्दर रचना के लिये आप को भी वधाई ।

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  11. उत्साहवर्धन के लिए आप सभी के प्रति आत्मिक आभारी हूँ।

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  12. बेहद ख़ूबसूरत प्रस्तुति !
    दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई |

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  13. बहुत अच्छा चोका और बेहतरीन माहिया हैं | आप दोनों को बहुत बधाई...|

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  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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