सोमवार, 12 नवंबर 2018

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1
बड़ी भीड़ है
आँसुओं के गाँव में,
यादों का काँटा
अनायास आ चुभा
छालों-भरे पाँव में।
-डॉ.सुधा गुप्ता
2
भोर-अधर
छाए नयन-कोर
या लाज घनी
निर्झर-सा गूँजा जो,
वह स्वर था तेरा।
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
3
आहट सुन
टहनी बैठा पिक
उड़ गया है,
वह नहीं लौटेगा
वृक्ष बहुतेरे हैं ।
-डॉ.कुमुद बंसल
4
ख़ामोश बड़ा
गाँव का अँधियारा
सुने कहानी-
थम जाएँ साँसें भी
सहमे उजियारा।
-डॉ.भावना कुँअर
5
काँपता रहा
लेकर पंख  गीले
मन का पंछी
कितना भिगोया है?
अम्बर क्यों रोया है?
-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
6
कभी पसारो
बाँहें नभ- सी तुम
मुझे भर लो
आलिंगन में प्रिय
अवसाद हर लो ।
-डॉ.कविता भट्ट
7
आँचल फैला
रब से माँगूँ दुआ
खुशी बरसे
तेरे घर अँगना
छूटे कभी संग ना ।
-कमला निखुर्पा
8
अमलतास
लटकें हैं झूमर
फूल गिरते
पीतवर्णा वसुधा
सजी सजीली सेज।
-सुदर्शन रत्नाकर
9
साथ हमारा
धरा-नभ का नाता
मिलते नहीं
मगर यूँ लगता-
आलिंगनबद्ध हों!
-डॉ.जेन्नी शबनम
10
गगनभेदी
खड़ीं अट्टालिकाएँ
मुँह चिढ़ाएँ
ढूँढे फिर मानव
धूप-किरन खोई ।
-शशि पाधा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. आकर्षक आवरण के साथ बहुत ही सुंदर एक से बढ़कर एक ताँका .... सभी रचनाकारों को हृदयतल से बधाई ।

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  2. सम्पादक द्वय एवं सभी साथियों को हार्दिक बधाई।

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  3. सुंदर कलेवर,सुंदर अभिव्यक्ति। सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई।

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  4. बहुत ही सुंदर ताँका सभी को बधाई
    प्पुश्पा मेहरा

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  5. एक से बढ़कर एक तांका।
    सुंदर कलेवर में सजे निर्झर के लिए बहुत बहुत बधाई।

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  6. सभी को बधाई और हृदय से आभार भी !

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  7. सभी ताँका बहुत सुन्दर, सभी को बहुत बधाई.

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