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843-पास तुम्हें जो पाऊँ
कमला निखुर्पा
आओ न तुम
सूरज की तरह
किरण-ताज
पहनकर आज
पूरब-द्वारे
राह तकूँ तुम्हारी
आओ न तुम
रोज चाँद की तरह
होऊँ मगन
माँग- सितारे सजा
दुल्हन बनूँ
लाज से शरमाऊँ
आओ न तुम
बदरा की तरह
सावन बन
मैं रिमझिम गाऊँ
भीजे जो अंग
पुरवैया के संग
बहती जाऊँ
धक से रह जाऊँ
पास तुम्हें जो पाऊँ ।
बहुत ही भावपूर्ण चोका, हार्दिक बधाई आदरणीया कमला जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण चोका, बधाई कमला जी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डॉ कविताजी डॉ जेन्नी शबनम जी
जवाब देंहटाएंसबसे बढ़कर उनका जो मुझसे लिखवाते हैं मैं कुछ भी लिखूं प्रशंसा कर प्रेरित करते हैं
कमला जी प्यारे से चोका सृजन के लिए हार्दिक अभिनंदन
जवाब देंहटाएंवाह, अद्भुत रवानगी है इन पंक्तियों में, पहाड़ से कोई झरना फूट बहा हो मानो।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा चोका कमला जी... बहुत बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका...बधाई कमला जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई कमला जी !
बहुत बहुत प्यारा चोका कमला जी
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा चोका है, मेरी बधाई
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