शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

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कमला निखुर्पा

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कहीं भोर है
कहीं साँझ की बेला
खुशियाँ कहीं 
कहीं दु:खों का मेला 
ये जग अलबेला   
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8 टिप्‍पणियां:


  1. बहुत ही सुंदर |

    पुष्पा मेहरा

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  2. बहुत सुंदर सेदोका। बधाई कमला जी

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  3. अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति कमला जी।

    सादर
    भावना सक्सैना

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  4. सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई कमला जी !!

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