बुधवार, 18 दिसंबर 2019

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माहिया
ज्योत्स्ना प्रदीप
 1
अब प्रेम बना सौदा
मोहक गमले में
ज्यों ज़हरीला पौधा ।
2
धन की सोपान बड़े 
मीत मिले पल में
मन में ना प्रीत जड़े !
3
हर नाता काला है
मन के कोने में
लोगों के जाला है।
4
पल ऐसा आता है
कल का भोला घन 
रुत को छल जाता हैं।
5
इक फूल मनोहर है
अपने  काँटों से
घायल वो अक्सर है।
6
ये कैसी है माया
पावन गंगा ही
धोती पापी-काया !

9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम बना सौदा,हर नाता काला है,रुत को छल जाता है....बेहतरीन ज्योत्स्ना जी, आपको बधाई!

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  2. हर नाता काला है ... , एक फूल मनोहर है अति मनभावन माहिया हैं ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई |

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  3. अर्थपूर्ण रचनाधर्मिता। हार्दिक बधाई।

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  4. सुंदर माहिया ज्योत्स्ना जी
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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  5. मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार करती हूँ... आप सभी साथियों का भी हृदय से धन्यवाद !

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  6. waah वाह वाह एक से बढ़कर एक माहिया बधाई ज्योत्स्ना जी

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  7. सत्य को दर्शाते अत्यंत ख़ूबसूरत माहिया! सुंदर सृजन हेतु बहुत बधाई ज्योत्स्ना जी!

    ~सादर/सस्नेह
    अनिता ललित

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  8. शशिजी,सखी अनिता जी,प्रोत्साहित करने के लिए हृदय से आभार आपका !

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