ज्योत्स्ना प्रदीप
1
मन- वीणा
बजनी है
तुमसे मिलने की
पहली ये
रजनी है ।
2
मधुमाधव मन
आया
मलय समीर हँसा
मौसम ये मुसकाया ।
3
नैना जलजात बनें
पीर- भँवर बंदी
देखो उस रात बनें !
4
जीवन अब
तेरा है
प्राची नाच उठी
दिल में न अँधेरा है ।
5
नव प्रेम कहानी है
तेरे संग पिया
इक सदी बितानी है ।
6
तू कैसा रे
प्रियतम
भूला प्रेम
घना
मुनि बेटी- सा ये मन !
7
तन -मन का वो बंधन
पल में बिसराया
अब शेष बचा क्रंदन ।
-0-
बहुत ही बढ़िया 👌
जवाब देंहटाएंबहुत आभार जी !
हटाएंबहुत सुन्दर!मन वीणा .....।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया जी !
हटाएंबहुत सुंदर मनभावन माहिया
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीया !
हटाएंअच्छे माहिया लेखन की बधाई ।
जवाब देंहटाएंहृदय-तल से धन्यवाद आपका !
हटाएंवाह, मनभावन माहिया।बधाई ज्योत्स्ना जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय शिवजी श्रीवास्तव जी, दिल से आभार आपका !
हटाएंबहुत सुन्दर माहिया!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया!
सादर!
हार्दिक धन्यवाद जी !
हटाएंबहुत सुंदर माहिया...ज्योत्स्ना प्रदीप जी हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया आद.दी !
हटाएंएक से बढ़कर एक मनभावन माहिया!आपको ढेरों शुभकामनाएँ ज्योत्स्ना जी!
जवाब देंहटाएंहृदय से धन्यवाद प्रीति जी !
हटाएंबेहतरीन माहिया ज्योत्सना जी। बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार भावना जी !
हटाएंमन को छूते प्यारे माहिया । बधाई ज्योत्स्ना जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आद.दी !
हटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आद.दी!
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंमेरे माहिया को यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय भैया जी और प्यारी बहन हरदीप जी का हृदय तल से आभार करती हूँ!
सुन्दर माहिया के लिए बहुत बधाई
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