बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

936

ज्योत्स्ना प्रदीप 

1

मन- वीणा  बजनी है 

तुमसे मिलने की 

पहली ये  रजनी है ।

2

मधुमाधव मन  आया 

मलय समीर हँसा 

मौसम ये मुसकाया ।

3

नैना जलजात बनें 

पीर- भँवर बंदी 

देखो उस रात बनें !

4

जीवन अब  तेरा है 

प्राची नाच उठी 

दिल में न अँधेरा है ।

5

नव प्रेम कहानी है 

तेरे संग पिया 

इक सदी बितानी है ।

6

तू कैसा रे  प्रियतम 

भूला प्रेम  घना 

मुनि बेटी- सा ये  मन !

7

तन -मन का वो बंधन 

 पल  में बिसराया

अब शेष बचा  क्रंदन ।

-0-

 

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर मनभावन माहिया

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे माहिया लेखन की बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, मनभावन माहिया।बधाई ज्योत्स्ना जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय शिवजी श्रीवास्तव जी, दिल से आभार आपका !

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर माहिया!
    हार्दिक बधाई आदरणीया!
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर माहिया...ज्योत्स्ना प्रदीप जी हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. एक से बढ़कर एक मनभावन माहिया!आपको ढेरों शुभकामनाएँ ज्योत्स्ना जी!

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन माहिया ज्योत्सना जी। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. मन को छूते प्यारे माहिया । बधाई ज्योत्स्ना जी ।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  10. मेरे माहिया को यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय भैया जी और प्यारी बहन हरदीप जी का हृदय तल से आभार करती हूँ!

    जवाब देंहटाएं