गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

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प्रेम :कई रंग

 रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'

प्रेम कई रंगों में लिपटा हुआ.... अनेक रूप धरे हुए... जिसकी परिभाषा हर अभिव्यक्ति से परे है....शब्दों


में कौन बाँध सका है इसे ... और कब इसका अर्थ समझ सका है अथवा समझा सका है कोई

ये तो बस एक खूबसूरत हसास है...किसी में खो जाने का..... किसी के हो जाने का.....मगर इसकी अनुभूति केवल वही कर सका है, जिसके सूने से मन के निर्जन-वन में प्रेम की सघन वृष्टि हुई हो... जहाँ प्रेम की सुखद स्मृतियों के असंख्य पुष्प खिले हों ; संभवत: वही हृदय-तरु पर पुष्पित और पल्लवित प्रेम-लता का साक्षी है। 

पहली ही नज़र में वो यूँ गहरे समा गया कि फिर हर घड़ी उसी के बारे में सोचना और पहरों सोचते जाना, चलते-चलते रास्ते पर ठहर जाना और फिर अचानक मुड़कर देखना कि शायद उसने ही आवा दी है वो यहीं कहीं है उन कदमों के निशा ढूँढने निकल पड़ता है मन प्रेम की खोज में भटकता यहाँ वहाँ सुबह से शाम तक 

मगर वो इक बार गया, तो जाने क्यों नहीं लौटा?

क्या विवशता थी, जिसे वो कभी मुझसे न कह सका ?

छोड़ गया कितनी ही अनगिनत यादें जो जीवन भर मेरे साथ चलीं और संग-संग मेरे सीने में बरसों से पला-बढ़ा एक इन्तज़ार उसके आने का जो मरता नहीं कभी ।

आज भी पलकें अपलक उस छवि को देखने की खातिर हर वक़्त चौखट पे बिछी रहती हैं, टकटकी लगाए इसी आशा में रत कि कभी तो उन्हें जी भर निहारने का अवसर पायेंगे

 प्रतीक्षारत 

है मन-घर-द्वार

प्रिय आएँगे।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
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  2. भावपूर्ण हाइबन ।बधाई रश्मि विभा जी ।

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  3. सुन्दर व भावपूर्ण हाइबन । बहुत-बहुत बधाई रश्मि विभा जी!

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  4. भावपूर्ण हाइबन...बधाई रश्मि जी।

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  5. भावपूरित हाइबन के लिए रश्मि विभा को बधाई ।

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  6. सुन्दर हाइबन
    हार्दिक बधाइयाँ रश्मि जी

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  7. मेरी लेखनी को बल देती, सृजन की प्रेरणा प्रदान करती आप सभी की टिप्पणी का हार्दिक आभार आदरणीय।
    सादर~
    रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'

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