शनिवार, 12 दिसंबर 2020

लौट आ नदी !

 सेदोका

डॉ. सुरंगमा यादव
1
लौट आ नदी !


तटबंधों को तोड़
बहोगी कब तक
विप्लव ढाके
ख़िर क्या पाओगी ?
पीछे पछताओगी ।
2.
हवा के संग
आलिंगन में रत
पात-पात टहनी
मर्मर-ध्वनि
सुना रही अपनी
कुछ न-पुरानी ।
3.
संकल्प सारे
समय के सहारे
छोड़कर जो बैठा
हार मानता
युद्ध से पहले ही
हथियार डालता ।
4.
घना  अँधेरा
दूर कहीं जलता
छोटा-सा एक दीप
देता मन को
उजियारे से ज़्यादा
आशा और सहारा ।

-0-

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. विविध भावों के सुंदर सेदोका। बधाई

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  2. बहुत सुन्दर भावों की रचनाएँ ! सुरंगमा जी बधाई !

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  3. हवा के संग
    आलिंगन में रत
    पात-पात टहनी
    मर्मर-ध्वनि
    सुना रही अपनी
    कुछ नई-पुरानी ।

    यह विशेष सुन्दरे लगा

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  4. हवा के संग, संकल्प सारे....बेहद खूबसूरत सेदोका, बधाई सुरँगमा जी!

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  5. घना अँधेरा
    दूर कहीं जलता
    छोटा-सा एक दीप
    देता मन को
    उजियारे से ज़्यादा
    आशा और सहारा ।
    बहुत सुंदर,विविध मनोभावों की अभिव्यक्ति करते सुंदर सेदोका,बधाई सुरंगमा जी।

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  6. सुंदर सेदोका , बधाई , शुभकामनाएँ ।
    .....उजियारे से ज्यादा
    आशा और सहारा ।

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  7. सुंदर सृजन
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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  8. चारों सेदोका बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण! हार्दिक बधाई सुरंगमा जी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  9. बहुत सुंदर सृजन सुरंगमा जी बहुत बधाई।

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  10. सुंदर और भावपूर्ण सेदोका।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।
    सादर।

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  11. कहाँ से पा लेती हो इतने अनमोल विचार,
    शब्द नहीं हैं कि कैसे प्रकट करूं आपका आभार,
    इतनी मार्मिकता से फूटें है आपके हृदय के उदगार | ढेर सारी बधाई ! श्याम हिन्दी चेतना

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  12. सुरंगमा जी के भावमय सदोका बहुत भाये । हार्दिक बधाई लें ।

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