बुधवार, 29 सितंबर 2021

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 दिनेश चन्द्र पाण्डेय

 1-सेदोका

1

प्यारी बेटियाँ

मीठे कलरव से

घर-चौरा गुँजाती

वक्त की बात

सूना घर ढूँढता

उड़ा प्रवासी पंछी

2.

वसुधा- संग

लिपटी रही रात

किलोल क्रीड़ारत

पूर्णेंदु विभा

छलकी प्रेम- सुधा

बेसुध अंग-अंग

3.

प्रिय संग थी
मधु रा क्षणों में
अलबेली सजनी
चंचल चाँद
झरोखे से झाँकता
सस्मित लौट गया
4

जागा मार्तंड

दिशाएँ दीप्त हुईं

स्निग्ध कांति पसरी

निहाल धरा

निखरे हिमाद्रि के

शुभ्र श्वेत शिखर

5.

आँखें खोई थीं

बहुसंख्य तारों में

जब सामने ही था

जाने कब से

काम्य चाँदनी लुटा

हँस रहा था चाँद

6.

बरस पड़े

काले मेघ कुंतल

धरा के आँगन में

श्रावणी धरा

सजी धानी वस्त्रों में

झूमे दादुर मोर

-0-

 2-ताँका

1.

रसाल- कुंज,

घुघुती गाती फिरी

मिलन गीत

विरही पपीहरा

सुन पूछे पी-कहाँ ?

2.

दीप्त हो गया

झील का श्याम जल

जब तले में

भटककर आया

चाँद सुस्ताने लगा

3.

शिशिर रात,

निस्तब्ध प्रकृति,

झरते नित

नभ दृग से आँसू,

क्लिन्न पातों का गात

4.

सावन आया,

पुरवा छेड़ रही

कजरी रा

किसने झूला डाला ?

अमराई में आज

-0-

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह,बहुत ही सुंदर ,मनभावन सेदोका एवं ताँका।दिनेश चंद्र पांडेय जी को बहुत बहुत बधाई।

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  2. बेटी और प्रकृति पर आधारित सेदोका और ताँका बहुत ही सुंदर -भावपूर्ण हैं

    पुष्पा मेहरा

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  3. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 30.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. श्रृंगार, विरह और बेटी पर भावपूर्ण, बहुत सुंदर सेदोका और ताँका। बधाई आदरणीय दिनेश चन्द्र पाण्डेय जी।

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  5. रचना प्रकाशन हेतु संपादक गण को आभार। साहित्य मर्मज्ञ सुधीजनों को रचना पर प्रतिक्रियाओं के माध्यम से प्रोत्साहन हेतु आभार।

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  6. बहुत सुंदर भावपूर्ण सेदोका एवं ताँका। हार्दिक बधाई

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  7. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण सृजन।
    हार्दिक बधाई आदरणीय।

    सादर

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  8. उम्दा सेदोका और तांका के लिए बहुत बधाई

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