शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2022

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रश्मि विभा त्रिपाठी

1

ऊँचा तकिया

बिछी पीली चादर

रवि जो लौटा घर,

गिरि ने दिया

बाँहें फैलाकरके

ख़ूब प्यार, आदर। 

2

अनोखा खेल

कभी काँधों पे बैठे

कभी पीठ के पीछे

शिखर देखे

सूरज खोले, मूँदे

रोशनी के दरीचे। 

3


हिम ओढ़के

सबकुछ छोड़के

की शैल ने साधना

है एकमात्र

उत्तरीय काँधे पे

शुद्ध सोने से बना। 

 -0- [ फोटो; कमला निखुर्पा के सौजन्य से]

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह,सभी सेदोका बहुत सुंदर,चित्र के मर्म को नवीन उपमाएँ देते हुए रचे गए सेदोका के लिए रश्मि जी को बधाई।

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  2. एक से बढ़ाकर एक सुंदर सेदोका
    बधाई रश्मि जी

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  3. सेदोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।

    आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी एवं आदरणीया पूर्वा जी की आभारी हूँ।

    सादर

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  4. एक से बढ़कर एक सुंदर सेदोका। बधाई

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  5. सुदर्शन रत्नाकर

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  6. प्रकृति के सभी सेदोका बहुत खूबसूरत ।बधाई रश्मि विभा जी ।
    विभा रश्मि

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  7. बहुत बढ़िया सेदोका रचे हैं रश्मि जी!

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  8. बहुत प्यारे सेदोका! चित्र भी बहुत सुंदर!

    ~अनिता ललित

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  9. वाह, बहुत सुन्दर सेदोका हैं, हार्दिक बधाई

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