मंगलवार, 17 जनवरी 2023

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भीकम सिंह

 गाँव - 26

 


उगने लगे

खरपात खेतों में

किस तरह

गाँवों में ढूँढती क्यों

अपने आस्माँ

सरकारी वज़ह

नशे में खड़ी

लहलहाती नस्ल

सब जगह

कुछ कह रहे हैं

लोग, बिला- वज़ह 

-0-

 

गाँव  - 27

 

लालची जाल

खेतों से करता है

कई सवाल

गाँवों की अभिव्यक्ति

ज्यों खिंची खाल

पालती- पोसती है

कई मलाल

मरती है घुटके

प्रत्येक साल

धीमे- धीमे सूखते

खलिहान के गाल ।

-0-

गाँव- 28

 

गाँवों का गुस्सा

खामखाह ही फूटा

शहरों ने तो

अपनाकर लूटा

कोर्ट में हुई

बातें ना जाने क्या-क्या

खेतों का सुख

पैरोल पर छूटा 

शहर उठा

स्वप्न गाँव का टूटा

धूमिल बेलबूटा 

-0-

गाँव  - 29

 

जब खुलती

मनरेगा की मुट्ठी

मजदूरों के

संग हो लेता गाँव

चार परांठे

अचार धरकर

इत्मीनान से

संग खा लेता गाँव

बातें कैसी हो

कर लेता विश्वास

झूठी पर भी गाँव 

-0-

गाँव -30

 

बात - बे - बात

ढूँढ़ रहा है गाँव

रास्ता देख के

पूँछ रहा है गाँव

अनगिनत

साल बीत गए हैं

दगड़ों में ही

घूम रहा है गाँव

सीने में कोई

जंग छिड़ी हो जैसे

जूझ रहा है गाँव 

-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. ग्राम्य जीवन के कुशल चितेरे भीकम सिंह जी को इन सुंदर दृश्यों को शब्दांकित करने हेतु-बधाई।
    अच्छे चौका-शुभकामनाएँ।

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  2. डॉ. भीकम सिंह जी ग्रामीण जीवन के प्रत्येक पक्ष का सम्यक चित्रण करने में सिद्धहस्त हैं उनके ये समस्त चोका भी ग्रामीण जीवन के विविध चित्र अंकित कर रहे हैं।बहुत बहुत बधाई।

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  3. गाँवों का सुख
    पैरोल पर छूटा

    एक से बढ़कर एक बेहतरीन चोका।
    हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी को 🌹💐

    सादर

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  4. एक से बढ़कर एक.... लाजवाब चोका!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. मेरे चोका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद, और आत्मीयता के रस में सराबोर आप सभी की टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।

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  6. सभी चोका लाजवाब...बहुत बहुत बधाई।

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  7. अहा ! ग्राम्य जीवन का बहुत ही सुंदर चित्रण

    सभी चोका एक से बढ़कर एक

    बधाई आदरणीय

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  8. गाँवों का यथार्थ चित्रण। हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर

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  9. एक से बढ़कर एक सभी चोका ,बधाई सादर

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