देतीं गरमाहट
अनिता ललित
मन -आँगन
हो गया सूना -सूना
हुआ उदास
घर का हर कोना
बिटिया गई
अपने घर -द्वारे
छोड़ के पीछे
प्यारी अठखेलियाँ
बीती छुट्टियाँ
घर में रह जाती
यादें ही यादें
कोहरे में घुलती
ओस की बूँदें
फूलों- सी महकतीं
वो प्यारी बातें
गरमाहट देतीं
देतीं संबल
स्नेह से भर देतीं
सर्द दिन को
अनमनी भोर में
अलाव -सी जलतीं।
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अहा! अनमनी भोर में अलाव सी जलतीं .....कितनी सूंदर पंक्ति 👌
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं💐
याद और तन्हाई के अहसास को शब्दों में पिरोया है। अद्भुत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक.. हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावपूर्ण चोका। हार्दिक बधाई अनिता जी। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण चोका।हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन 🙏🌹आद. Mam 🌹
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चोका।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया दीदी 💐🌷🌹
सादर
बहुत सुंदर रचना अनिता जी, आपको ढेरों शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर चोका अनिता जी बधाई। सविता अग्रवाल”सवि”
जवाब देंहटाएंमेरे चोका को यहाँ स्थान देने हेतु संपादक द्वय का हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधीजनों को चोका पसंद आया, इसके लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार!
~सादर
अनिता ललित
बहुत खूबसूरत चोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण चोका।हार्दिक बधाई अनिता जी ।
जवाब देंहटाएंमन भीग गया , बहुत बधाई
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