सुदर्शन रत्नाकर
कैसी
यह मजबूरी
हो
तो पास मगर
इतनी
क्यों है दूरी।
2
वो
चाँद बुलाता है
किरणें
रूठी हैं
हर
समय रुलाता है।
3
फूलों
को खिलने दो
बहती
नदिया को
सागर
से मिलने दो।
4
नदिया
की धारा है
डूब
रही नैया
वह
एक सहारा है। 1
5
बूँदें
तो बरस रहीं
तुझसे
मिलने को
ये
अँखियाँ तरस रहीं।
6
हरियाली
छाई है
फूलों
का मौसम
मादक
ॠतु आई है।
7
रंगों
का मेला है
फूलों
को छू लो
पावन
ये बेला है।
8
क़िस्मत
का खाता है
कर्म
करे जो भी
वो
ही फल पाता है
9
पानी
जो बरसा है
सूखी
धरती का
मन भी, लो सरसा है।
10
लो
सावन आया है
धरती
से मिलने
वो
बूँदें लाया है।
11
यादों
का मेला है
कैसे
भूलूँ मैं
मन
निपट अकेला है।
12
छाया
के बूटे हैं
माँ
सच्चा रि़श्ता
बाक़ी
सब झूठे हैं।
-0-
ई-29,
नेहरू ग्राउंड फ़रीदाबाद 121001
फूलों को खिलने दो/बहती नदिया को/सागर से मिलने दो।...वाह मनभावन माहिया।सभी माहिया उत्कृष्ट।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी माहिया, अत्यंत सुंदर आदरणीया दीदी जी!
जवाब देंहटाएं~सादर
अनिता ललित
कल-कल करती झरने सी मधुर माहिया रस घोल गई |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हार्दिक बधाई आपको
जवाब देंहटाएंसादर
सुरभि
बहुत सुंदर माहिया ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया रत्नाकर दीदी को💐🌹
प्रतिक्रिया देकर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आप सब का हृदय तल से आभार। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंवाह वाह ! सुदर्शन जी , मनमोहक माहिया पढ़ कर रचने का मन हुआ
जवाब देंहटाएंशशि पाधा
जवाब देंहटाएंसभी महिया मनभावन है
जवाब देंहटाएंविशेषतः -
लो सावन आया है / धरती से मिलने / वो बूँदें लाया है।
छाया के बूटे हैं / माँ सच्चा रि़श्ता / बाक़ी सब झूठे हैं।
हार्दिक बधाई सुदर्शन जी
सभी माहिया बहुत ही भावपूर्ण, बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर तो मन माँ के पास ही पहुँच गया -
छाया के बूटे हैं
माँ सच्चा रि़श्ता
बाक़ी सब झूठे हैं।
हार्दिक बधाई दी।
शशि जी,पूर्वा जी,सुशीला जी हार्दिक आभार सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण माहिया...हार्दिक बधाई आदरणीया दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर माहिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मनभावन माहिया। हार्दिक बधाई रत्नाकर दीदी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर माहिया हैं सभी, बहुत बधाई
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