डॉ. जेन्नी शबनम
लगती प्यारी
हँसती हुई नारी
घर- संसार
समृद्धि भरमार
रिश्तों की गूँज
पसरी अनुगूँज
चहके घर
सुवासित आँगन
बच्चों का प्यार
पुरुष से सम्मान
पाकरके स्त्री
चहकती रहती,
खिलखिलाती
सम्बन्धों की फ़सल
लहलहाती
नाचती हैं ख़ुशियाँ
प्रेम-बग़िया
फूलती व फलती,
पाकर प्रेम
पाके अपनापन
भर उमंग
करती निछावर
तन व मन
सूरज-सा करती
निश्छल कर्म
स्त्री सदैव बनती
मददगार
अपने या पराए
चाँद -सी बन
ठंडक बरसाती
नहीं सोचती
सिर्फ़ अपने लिए
करती पूर्ण
वह हर कर्तव्य
ममत्व-भरा
नारी है अन्नपूर्णा
बड़ी संयमी
मान-प्यार-दुलार
नारी-मन का सार।
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बेहतरीन चोका, हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका जेन्नी जी। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर... Mam 🌹🙏😊
जवाब देंहटाएंसुंदर चोका जेन्नी जी, बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका... हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चोका।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया
सादर
सुंदर मनभावन चोका
जवाब देंहटाएंबधाई जेन्नी जी
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आपको।
सादर
सुरभि डागर
मेरी लेखनी को आप सभी का प्यार मिला, हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चौका सृजन । हार्दिक बधाई आपको जेन्नी जी ।
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