गुरुवार, 18 जनवरी 2024

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भीकम सिंह

1

 

नि: शब्द हुआ

दिल का अनुराग

याद मुझे था

जब फैली मुस्कान

भीतर में दु:ख था ।

2

प्रेम निशानी

छिप - छिप पहनें

ठुड्डी को छूले

धूल भरे पैरों से

गॅंवई -सी मोह - ले 

 

 

3

बाट जोहती

खेत की मेड़ पर

प्यार में खड़ी

पूस की पूर्णिमा में

काटे,अमा की घड़ी ।

4

प्रेयस तक

हुंची नहीं बात

एक मन था

डूबता - उतरता

प्यार में उस रात ।

5

प्रेम में पड़ी

कितना कह गई

एक झलक

करवटें फेरे, ज्यों

सवेरे - सी पुलक ।

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