डॉ. सुरंगमा यादव
1
बातों से बात बने
बात नहीं होगी
कैसे फिर बात बने?
2
शिकवा
क्या करना है
नौका
पास नहीं
तिनका ले तरना है।
3
बेटी ने जन्म लिया
घोर उदासी ने
स्वागत था खूब किया।
4
सूरज भी निकलेगा
अँधियारा कब तक
यूँ उसको निगलेगा।
5
दुनिया अनजानी है
झरना पर्वत की
आँखों का पानी
है।
6
जीवन की लीला है
मंजिल दूर बड़ी
रस्ता पथरीला
है।
दुनिया अनजानी है
जवाब देंहटाएंझरना पर्वत की
आँखों का पानी है।
बहुत ही सुंदर कल्पना।
बेटी का जन्म अभी भी समाज में उदासी का सबब है। सही कहा।
बधाई सुरँगमा जी
वाह, वाह... बहुत सुन्दर माहिया रचे हैं, हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं- भीकम सिंह
झरना पर्वत 'का' कर लें अच्छे माहिया हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर -पुष्पा मेहरा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर माहिया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई दीदी
बहुत सुंदर माहिया। हार्दिक बधाई।सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर माहिया सुरंगमा जी!!
जवाब देंहटाएंसभी माहिया सुन्दर और प्रभावी हैं। तीसरा माहिया बहुत मार्मिक। बधाई डॉ. सुरंगमा जी
जवाब देंहटाएंनिराशा में आशा का संचार करते हैं बहुत सुंदर माहिया। बधाई डॉक्टर सुरंगमा 💐
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं भावपूर्ण माहिया आ. सुरंगमा जी!
जवाब देंहटाएं~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर माहिया... बहुत बधाई सुरंगमा जी
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... 👏👏
बहुत खूब लिखा है । सुंदर माहिया हैं हार्दिक बधाई सुरंगमा जी । सविता अग्रवाल “सवि”
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर माहिया... 👏👏
जवाब देंहटाएंअरे वाह , बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर माहिया। हार्दिक बधाई सुरंगमा जी
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