शुक्रवार, 18 मई 2012

नेह के धागे


नेह के धागे
डॉoभावना कुँअर
1
हमेशा दिया
अपनों ने ही धोखा
मैं भी जी गई
उफ़ बिना किए ही
ये जीवन अनोखा ।
2.
भागती रही
परछाई के पीछे
जागती रही
उम्मीद के सहारे
अपनी आँखे मींचे ।
3.
चिड़िया बोली
झूम उठी वादियाँ
वातावरण
भरा मिठास से यूँ
ज्यूँ मिसरी हो घोली ।
4.
अभागा मन
है सहारा तलाशे
कितनी दूर
इस जहाँ से भागे
टूटे,नेह के धागे ।
5.
अलसाया -सा
मलता था सूरज
उनींदी आँखें
खोल न पाए पंछी
फिर अपनी पाँखें ।
6.
जीवन भर
आतंक के साये में
जीते हुए भी
खोजती थी हमेशा
उजाले की किरण ।
7.
छनती रही
रात भर चाँदनी
झूम-झूम के
चाँद और तारे भी
गाते दिखे रागिनी ।
8
खत्म न हुआ
यातना का सफ़र
टूटी थी नाव
बरसने लगा था
ओलों का भी कहर ।
9
पीर की गली
मिला, ओर न छोर
कहाँ मैं जाऊँ
रिसता मन लिये
क्या होगी कभी भोर !
10.
मछली जैसे
तड़पी आजीवन
नहीं हिचके
बींधते हुए तुम
व्यंग्य बाणों से मन ।
11
नहाती रही
अँधेरे में वो रात,
समझी नहीं
कि क्यूँ रूठ बैठा था
वो बेदर्द प्रभात ।
-0-

13 टिप्‍पणियां:

  1. छनती रही
    रात भर चाँदनी
    झूम-झूम के
    चाँद और तारे भी
    गाते दिखे रागिनी ।

    सौन्दर्य-बोध कराते इस ताँका का जवाब नहीं...

    खत्म न हुआ
    यातना का सफ़र
    टूटी थी नाव
    बरसने लगा था
    ओलों का भी कहर ।

    एक तरफ नदी दूसरी तरफ खाई..मुसीबतों का अन्त नहींः)

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  2. नेह के धागे -
    पाते नहीं अभागे ||

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  3. बहुत सुंदर और भावप्रवण तांका। बहुत सुंदर बिंब उभर कर आए हैं। डॉoभावना कुँअर को बधाई !

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  4. एक से बढ़ कर एक ताँका..बहुत बधाई।
    कृष्णा वर्मा

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  5. जीवन भर

    आतंक के साये में

    जीते हुए भी

    खोजती थी हमेशा

    उजाले की किरण ।



    सभी तांका बहुत सुंदर हैं आप दर्द को सुंदर शब्दों में आप बड़ी सुन्दरता से ढालती हैं.

    बधाई,

    अमिता कौंडल

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  6. भागती रही
    परछाई के पीछे
    जागती रही
    उम्मीद के सहारे
    अपनी आँखे मींचे


    बहुत सुंदर भावना जी ! एक-एक तांका जीवन को बहुत प्रभावशाली ढंग से परिभाषित करता हुआ...
    सादर
    मंजु

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  7. बहुत सुंदर मैम भावना जी ...हार्दिक बधाई |

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  8. मछली जैसे
    तड़पी आजीवन
    नहीं हिचके
    बींधते हुए तुम
    व्यंग्य बाणों से मन ।

    सभी तांका बेजोड़ .... गहन भाव लिए हुये ।

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  9. भागती रही
    परछाई के पीछे
    जागती रही
    उम्मीद के सहारे

    अपनी आँखे मींचेवैसे तो सभी तांका मार्मिक व भाव उद्वेलित करते है पर यह दिल को छू गया ...भावना जी को बधाई व शुभकामनाएं ...

    Dr. Rama Dwivedi

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  10. बहुत सुंदर और भावप्रवण तांका। बहुत बधाई।

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  11. बहुत सुंदर और भावप्रवण तांका। बहुत बधाई।

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  12. सभी ताँका मन की गहराई से जन्म लिया है, बहुत अर्थपूर्ण. ये हम सभी की जिन्दगी के बहुत करीब है...
    हमेशा दिया
    अपनों ने ही धोखा
    मैं भी जी गई
    उफ़ बिना किए ही
    ये जीवन अनोखा

    बहुत शुभकामनाएँ.

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  13. Aaap sabhi ka tahe dil se shukriya....sneh ke liye aabhari hun...

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