गुरुवार, 24 मई 2012

माहिया


डॉ सरस्वती माथुर
1
नभ पे तो तारे हैं
मन के भीतर भी
यादों के  झारे हैं
2
पूनम की हैं रातें
नभ के आँचल में
तारों की  सौगातें

8 टिप्‍पणियां:

  1. नभ के आँचल में
    तारों की सौगातें..

    bahut sundar mahiya

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  2. सुंदर माहिया लिखने के लिए बधाई

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  3. दोनों माहिया बहुत सुन्दर।
    कृष्णा वर्मा

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  4. वाह, बहुत सुंदर माहिया हैं बधाई,
    अमिता कौंडल

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  5. उत्तर
    1. आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आप सभी को कोटिशः धन्यवाद और आभार !
      डॉ सरस्वती माथुर

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  6. डॉ सरस्वती माथुर के माहिया बहुत भावपूर्ण हैं ....शब्दों के झारे बहा दिए! उनके माहिया अनुभूत में भी देखे थे और यह तो मन मोह ले गए! आप बहुत सुंदर लिखती हैं माथुर जी आप ने एक नयी विधा से अवगत कराया ...बधाई !
    नीना दीवान (सिंगापुर)

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