गुरुवार, 24 मई 2012

हँस गई चाँदनी


सुशीला शिवराण
1
रजनी बाला
उतरी अम्बर से
नहा चाँदनी
ओढ़ तारा- चूनर
मिलने प्रीतम से
2
पाओ तो मन
नभ जैसा विस्तार
प्यारे सपने
देखे जो नयनों ने
कर लूँ मैं साकार



3
कारे बादर
स्याह हुआ अम्ब
कौंधी दामिनी
चीर कालिमा देखो
हँस गई चाँदनी ।

4
नीला आसमाँ
बुलाए जब  मोहे
मन बावरा
बन जाए है पाखी
नापे नभ
- विस्तार
-0-
-


11 टिप्‍पणियां:

  1. सुशीला जी ने प्रकृति की खूबसूरती को बिम्ब बनाते हुये बहुत सुंदर तांका रचे हैं..

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  2. नहा चाँदनी
    ओढ़ तारा- चूनर
    मिलने प्रीतम से ....सारे तांका खूबसूरती से रचे गए हैं....बधाई

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  3. कारे बादर
    स्याह हुआ अम्बर
    कौंधी दामिनी
    चीर कालिमा देखो
    हँस गई चाँदनी ।
    बहुत सुन्दर।
    कृष्णा वर्मा

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  4. नीला आसमाँ
    बुलाए जब मोहे
    मन बावरा
    बन जाए है पाखी
    नापे नभ- विस्तार...

    Khubsurat...

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  5. बहुत सुंदर तांका हैं बधाई,
    अमिता कौंडल

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  6. बेहद खूबसूरत प्रकृति वर्णन...बधाई!!

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  7. प्रकृति की अद्भुत छटा बिखरी है..

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  8. नए रचनाकारों की विषयवस्तु और शिल्प दोनों क्षेत्रों रचनातमक सम्भावनाएँ आश्वस्त करती हैं । सुशीला शिवराण जी के ताँका पहली बार पढ़े ।सभी ताँका परिपक्व होने के साथ कल्पना -माधुर्य से सजे हैं । ये दो ताँका बहुत ही अच्छे हैं- 1
    रजनी बाला
    उतरी अम्बर से
    नहा चाँदनी
    ओढ़ तारा- चूनर
    मिलने प्रीतम से ।
    2
    पाओ तो मन
    नभ जैसा विस्तार
    प्यारे सपने
    देखे जो नयनों ने
    कर लूँ मैं साकार ।

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  9. आप सभी की ह्रदय से आभारी हूँ। आप की टिप्पणियाँ निरंतर बेहतर और सुंदर लिखने को प्रेरित करती हैं। ये स्नेह बनाए रखें।

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  10. कारे बादर
    स्याह हुआ अम्बर
    कौंधी दामिनी
    चीर कालिमा देखो
    हँस गई चाँदनी ।....
    बहुत सुंदर तांका हैं सुशीला शिवराण जी बधाई!

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