शनिवार, 16 जून 2012

भोर सुवासित



-सुशीला शिवराण
1
भोर सुवासित आए
कूकी कोयलिया
मन में मोद समाए !

2
उसने  प्रेम कहा है
मन वासंती में
झर-झर मेह  बहा है ।
3
जब खिलता है उपवन
मीत बता मेरे
बहका -सा क्यों है मन !
4
उन्माद भरी लहरें
देतीं नाम मिटा
 सुधियाँ  तेरी ठहरे !
5
 इन रेत - घरौंदों में
दो पल का जीवन
जी लेते यादों में !
-0-


7 टिप्‍पणियां:

  1. उसने प्रेम कहा है
    मन वासंती में
    झर-झर मेह बहा है

    बहुत प्यारा माहिया...सभी माहिया अच्छे लगे!!
    सुशीला शिवराण जी को हार्दिक बधाई !!

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  2. सभी माहिया अच्छे लगे!सुशीला शिवराण जी को हार्दिक बधाई !!

    Dr saraswati Mathur

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  3. उन्माद भरी लहरें
    देतीं नाम मिटा
    सुधियाँ तेरी ठहरे !
    बहुत सुन्दर बधाई।
    कृष्णा वर्मा

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  4. मेरे हाइकू पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार - ऋता शेखर मधु जी, Suresh Choudhary जी और Dr saraswati Mathur जी।

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  5. बहुत सुंदर माहिया हैं



    उसने प्रेम कहा है
    मन वासंती में
    झर-झर मेह बहा है

    सुंदर भाव.

    बधाई,

    अमिता कौंडल

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