सोमवार, 20 अगस्त 2012

तुमने कहा( चोका)

 -डॉ. अमिता कौण्डल
                          
तुमने कहा -
मैं खुश हूँ  बहुत
कहो प्रीतम
कब देखा तुमने
सूरजमुखी
खिलता सूर्य  बिना
देखा है कभी   ?
प्रियवर  तुमने
 बिन जल के
मछली को जीवित
तुम ही तो हो
मेरी सारी खुशियाँ
जब से मोड़ा
तुमने मुखड़ा ये
एकाकी हूँ मैं
माटी -रची काठ को
जिन्दा रखा है
कि कभी होगी तुम्हें
मेरी भी सुध
मैं और तुम होंगे
इस जन्म  में "हम" 
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8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर लिखा है...अमिता जी को बधाई !!

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  2. बहुत सुन्दर...अमिता जी बधाई

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  3. "कि कभी होगी तुम्हें
    मेरी भी सुध
    मैं और तुम होंगे
    इस जन्म में "हम"
    बहुत मोहक ताँका! बधाई !

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  4. दर्द में डूबा भावों का सागर अमिता जी आँख भरने लगी थी मेरी
    रचना

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा21 अगस्त 2012 को 3:46 pm बजे

    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति अमिता जी ....बधाई

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  6. व्यथा की गाथा... भावपूर्ण चोका. शुभकामनाएँ.

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  7. दिल को छूती एक मार्मिक रचना के लिए मेरी बधाई...।

    प्रियंका

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  8. आप सभी को यह रचना पसंद आई इसके लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद.
    सादर,
    अमिता

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