सोमवार, 20 अगस्त 2012

ये खामोशियाँ ( चोका)


 डॉ भावना कुँअर

ये खामोशियाँ
डुबो गई मुझको
दर्द से भरी
गहन औ अँधेरी
कोठरियों में।
गूँजती ही रहती
मेरी साँसों में
प्यार -रंग में रंगी
खुशबू भरी
जानी पहचानी -सी
बावरी धुन।
छलिया बन आए
चुरा ले जाए
मेरे लबों की हँसी
दे जाए मुझे
आँसुओं की सौगात
कैसा अजीब प्यार !

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर चोका ! कल-कल बहती नदी-सा !बधाई भावना जी !

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  2. उफ़ क्या सुंदर शब्दों को पिरोया है शायद ऐसा ही है प्यार
    बधाई
    रचना

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  3. ज्योत्स्ना शर्मा21 अगस्त 2012 को 3:40 pm बजे

    मन को छू लेने वाली पंक्तियाँ हैं आपकी ......बहुत सुंदर ...बहुत बधाई

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  4. बहुत सुन्दर चोका. मन को गहरे छू गए भाव. बधाई.

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  5. बहुतखूब लिखा है चोका...भावना जी बधाई
    कृष्णा वर्मा

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  6. प्रेम को लाजवाब खूबसूरत शब्दों में पिरोया है ... सच में चोका है ...

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  7. बहुत सुंदर चौका है बधाई.
    सादर,
    अमिता

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