डॉ सरस्वती माथुर
1
मौसम अलबेला है
अब तो आ जाओ
मिलने की बेला है l
2
डोले नभ में बादल
मन की आँखों में
बस यादों का काजल l
3
तुम भूल मुझे जाना
सात जनम लूँगी
है तुमको ही पाना l
4
हैं सपने रंगीले
नींदें पी -पी के
अब तक भी हैं गीले l
5
है कोरा कागज -मन
आकर लिख जाओ
जीवन में अपनापन l
6
मेहँदी का रंग हरा
लाली प्रीत भरी
नैनो में प्यार भरा l
7
है
मेरा दिल खाली
बगिया
का मेरी
है तू
ही तो माली
8
तुम बन
जुगनू आओ
रातों
को मेरी
आलोकित
कर जाओ
9
तुम
धारा मैं नदिया
मुझ तक
आने में
कितनी
बीती सदियाँ
10
आँखें
मेरी पुरनम
तुम हो
यादों में
कब
होगा अब संगम
11
है
माथे पर बिंदिया
काजल
आँखों में
खोयी
मेरी निंदिया l
-0-
हैं सपने रंगीले
जवाब देंहटाएंनींदें पी -पी के
अब तक भी हैं गीले
सुन्दर माहिया के लिए बधाई...।
प्रियंका
namaskaar saraswati ji
हटाएंsabhi mahiya dil ko chu gaye raspurn mahiya ,
ab dole hai jiya :) badhai
बहुत मोहक ,रस से परिपूर्ण माहिया ...
जवाब देंहटाएंबधाई .. सरस्वती जी
वाह वाह सरस्वती माथुर जी बहुत ही प्यारे माहिया करवाचौथ के अवसर पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर,भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई सरस्वती जी |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सरस माहिया।
जवाब देंहटाएंसरस्वती जी बधाई।
आप सभी के स्नेह भरे कमेंट्स के लिए बहुत- बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंडॉ सरस्वती माथुर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ........कितने सरस माहिया .....
जवाब देंहटाएंहैं सपने रंगीले
नींदें पी -पी के
अब तक भी हैं गीले l
अति उत्तम