सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

सोन चिरैया/याद तुम्हारी


1-सोन चिरैया- डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

सोन चिरैया
जब भी तुम गाओ
मीठा ही गाओ
जो तुम मेरी मानो
नीड़ बनाओ
तिनका चुनकर
खुद ही लाओ
शेष अभी कहना-
छीन घरौंदा
कभी किसी पंछी का 
नहीं सताओ
जीवन मंत्र यही-
मिट जाते हैं
बदनाम परिंदे
मान भी जाओ
सखि, जीवन जी लो
अमृत बाँटो, पी लो !!

-0-
2-याद तुम्हारी- डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

नई भोर -सी
दमकाती है मन
याद तुम्हारी
पल -पल है प्यारी
मुग्ध कली- सी
महकाती है मन
याद तुम्हारी
ज्यों सुरभि की झारी
प्यार पगी -सी
सरसाती है मन
याद तुम्हारी
यूँ रस बरसा री
कुंज गली -सी
भटकाती है मन
याद तुम्हारी
सब कुछ मैं हारी
सुनो न कान्हा !
तरसाती है मन
याद तुम्हारी
आओ कृष्ण मुरारी
संग हों राधे प्यारी !!
-0-

3 टिप्‍पणियां:

  1. नीड़ बनाओ
    तिनका चुनकर
    खुद ही लाओ
    शेष अभी कहना-
    छीन घरौंदा
    कभी किसी पंछी का
    नहीं सताओ
    Sikshaprad panktiyan...bahut2 badhai..
    नई भोर -सी
    दमकाती है मन
    याद तुम्हारी

    Sundar upamaa..bahut2 badhai..

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  2. बहुत सुन्दर रचनाएं। ज्योत्स्ना जी बधाई।

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  3. ज्योत्स्ना शर्मा10 अक्टूबर 2012 को 6:07 pm बजे

    Dr.Bhawna ji evam Krishna Verma ji ...सुन्दर ,प्रेरक प्रतिक्रिया के साथ उपस्थिति के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ..सादर ...ज्योत्स्ना शर्मा

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