सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

प्रभाती गाएँ

1-सेदोका


डॉ सतीश राज पुष्करणा
1
होती है पूजा
जगती में उसकी
जो कुछ कर जाता ,
बनता वही
शिलालेख युग का
वो अमर हो पाता ।
2
काव्य-साधना
करे हर सर्जक
मानवता -हित में,
सारी धरती
हो सदा अनामय
बचे दानवता से ।
3
सुख बरसे
मिल करें वन्दना
हम अन्तर्मन से ,
सब हों सुखी
हर घर रौशन
महके चन्दन से ।
4
जब झूमते
फूल, पल्लव, डाली
हवा साज बजाए
बने  पुजारी
तब पेड़ों पे पंछी
मिल प्रभाती गाएँ ।
-0-
ताँका
2-राम नरेश ‘रमन’  झाँसी
1
बेटी हमारी
प्रेम की प्रतिमूर्त्ति
विश्वास मेरा-
करेगी स्वप्न पूरे
बनेगी ध्वजकीर्ति
2
सुधारो भूल
होता कली से फूल
छोड़ो नादानी
मसलकर उसे
हो न कुछ हासिल ।
3
मिटे अँधेरा
दीपक जलने से
करे रौशन
दूसरों का जीवन
जला अपना तन ।
4
देते जो फल
वे ही सिर झुकाते
किसी को कुछ
न दे सकें कभी जो
वही तो इतराते ।
-0-

-0-

4 टिप्‍पणियां:

  1. जब झूमते
    फूल, पल्लव, डाली
    हवा साज बजाए
    बने पुजारी
    तब पेड़ों पे पंछी
    मिल प्रभाती गाएँ ।
    sundar upmayen...

    देते जो फल
    वे ही सिर झुकाते
    किसी को कुछ
    न दे सकें कभी जो
    वही तो इतराते ।

    gahan soch...

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  2. ज्योत्स्ना शर्मा8 अक्टूबर 2012 को 5:24 pm बजे

    सर्व जन सुखाय सुन्दर भावों से परिपूर्ण सेदोका एवं ताँका ...बहुत बहुत बधाई ..धन्यवाद
    सादर ...ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. सारपूर्ण सुन्दर सेदोका, ताँका के लिए सतीश जी, राम नरेश जी को बधाई।

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  4. अच्छे-अच्छे तांका और सेदोका के लिए बहुत आभार और बधाई...।
    प्रियंका

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