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जीवन ठहर गया
सुदर्शन रत्नाकर
1
ये नदियाँ बहती हैं
सागर से मिलने
कितने दु:ख सहती हैं ।
2
काजल की रेखा है
आगे क्या होगा
किसने यह देखा है ?
3
ये बंधन झूठे हैं
क्यों विश्वास करूँ
साजन जो रूठे हैं ।
4
आशा अब टूट गई
जीवन ठहर गया
साँसें जब छूट गई ।
5
यूँ मत समय गँवाओ
जब तक साँसें हैं
कुछ तो करते जाओ ।
6
तुम क्यों
दु:ख सहते हो
मत अभिमान करो
साथ नहीं रहते हो ।
7
सूरज तो डूबेगा
घबरा मतसाथी
चन्दा भी निकलेगा ।
8
तुम भी तो कुछ बोलो
मिलकर रहना है
विष दिल में मत घोलो ।
9
पाखंड रचाते हो
दिल में रब तेरे
क्यों मंदिर जाते हो ?
10
मुश्किल तुमको पाना
नींद नहीं टूटे
सपनों में आ जाना ।
11
चाँद सजी रातें हैं
आकर मिल साथी
कहनी कुछ बातें हैं ।
-0-
पाखंड रचाते हो
जवाब देंहटाएंरब तेरे दिल में
क्यों मंदिर जाते हो ?
बहुत सुन्दर...बधाई...।
प्रियंका
जीवन के अनुभवों से सजे सार्थक , सुंदर माहिया . बधाई .
जवाब देंहटाएंजीवन गाथा कहते ...अर्थपूर्ण एवं भावपूर्ण महिया ....बधाई सुदर्शन जी ...
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