मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

सर्दी के दिन



1-शशि पुरवार 
1
सर्द मौसम
सुनसान थी राहें
चुप  किनारे
सिमट रहा  कोई
तार-तार कामरी ।
2
जमती साँसें
चुभती है पवन
फर्ज प्रथम     
जवानों की गश्त के
बर्फीले है कदम 

-0-

2-रेनु चन्द्रा
1
सर्दी के दिन
पंख फुला कर ये
प्यारी चिरैया
धूप सेक रही है
नर्म अहसास है।
  2
सर्दी की धूप
गुन गुनाती रही
प्यार के गीत
ओस बूँद चुनती
प्रेम धुन बजाती ।
-0-


5 टिप्‍पणियां:

  1. जमती साँसें
    चुभती है पवन
    फर्ज प्रथम
    जवानों की गश्त के
    बर्फीले है कदम ।

    बहुत सुन्दर ता़का...शशि जी को बधाई !!

    सर्दी के दिन
    पंख फुला कर ये
    प्यारी चिरैया
    धूप सेक रही है
    नर्म अहसास है।

    बहुत खूब...रेनु चन्द्रा जी को बधाई !!

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  2. सुंदर तांका। यह तो बहुत अच्छा लगा -

    सर्दी के दिन
    पंख फुला कर ये
    प्यारी चिरैया
    धूप सेक रही है
    नर्म अहसास है।

    बधाई दोनों कवयित्रियों को!

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  3. रेनू जी, शशि जी आप दोनों के ताँका बहुत सुन्दर...बधाई।

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  4. सर्दी के दिन
    पंख फुला कर ये
    प्यारी चिरैया
    धूप सेक रही है
    नर्म अहसास है।

    bahut khub likha hai....bahut2 badhai...

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा29 दिसंबर 2012 को 10:09 pm बजे

    जमती साँसें
    चुभती है पवन
    फर्ज प्रथम
    जवानों की गश्त के
    बर्फीले है कदम ।....वीर सैनिकों को सलाम कहता बहुत सुन्दर ताँका शशि जी


    सर्दी के दिन
    पंख फुला कर ये
    प्यारी चिरैया
    धूप सेक रही है
    नर्म अहसास है।...बहुत प्यारा अहसास ...बधाई रेनू जी

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