गुरुवार, 24 जनवरी 2013

बचपन की बातें ( माहिया )

शशि पाधा
1
सुधियों की गलियाँ हैं 
बचपन की बातें
मिश्री की डलियाँ हैं  ।
2
ममता की डोरी थी
दादी की गोदी
मीठी सी लोरी थी  ।
3
तितली से उड़ते थे
मन को पंख लगे
जित चाहे मुड़ते थे ।
4
खुशियाँ भर झोली में
ब्याह के शगुन हुए
गुडिया की डोली में ।
5
छम छम बरसात हुई
तन-मन भीग गया
शीतल सौगात हुई ।
6
तारों की छैयाँ में
कितने सपने थे
उस भूल भुलैयाँ में  ।
7
क्या खेल तमाशे थे
भर भर हाथों में
बस खील बताशे थे  ।
8
कब लौट के आएँगे
खेल खिलौने के
दिन फिर जी पाएँगे  !
-0-


6 टिप्‍पणियां:

  1. ममता की डोरी थी

    दादी की गोदी

    मीठी सी लोरी थी ।
    bahut hi sunder sunder bimbo se saje bhav
    rachana

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  2. वाह .. बहुत सुन्दर लगी बचपन की बातें ... और क्यूँ न हो बचपन होता ही सुन्दर है...

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  3. बहुत खूबसूरत, मनमोहक चित्रण बचपन के प्यारे-प्यारे दिनों का...:-)
    ~सादर!!!

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  4. ज्योत्स्ना शर्मा24 जनवरी 2013 को 11:40 pm बजे

    छम छम बरसात हुई
    तन-मन भीग गया
    शीतल सौगात हुई । ......सुन्दर मधुर भावों की छम छम बरसात हुई ..और ..मन भीग गया ...बहुत मोहक माहिया ...बहुत बधाई !

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  5. बड़े ही मोहक माहिया...
    बचपन की निराली बातें...बहुत बधाई !!

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  6. बचपन लौटा कर तो शायद हर कोई लाना चाहता है...| कुछ यादें अपने बचपन की भी ताज़ा कर गए ये माहिया...|
    बधाई...|
    प्रियंका

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