गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

किस्से रीत गए


डॉ सुधा गुप्ता
1
तारे नभ में छिटके
तेरी यादों के
आँसू पलकों अटके ।
2
विरहा का गीत न गा
थपक रही पीड़ा
अब और न आज रुला ।
3
वे किस्से रीत गए
तुझसे मिलने के
सब मौसम बीत गए ।
4
आँसू की धार बही
बोल नहीं फूटे
मन की ना एक कही ।
5
सागर था तूफ़ानी
मेरी क्या हस्ती
तिरना था बेमानी ।
6
चिड़िया जो खेत चुगे
खुश है रखवाला
धन-धन जो भाग जगे ।
7
आकाश उड़ान भरूँ
पंछी तो चाहे-
दुनिया की सैर करूँ ।
8
सुनसान डगर राही
तोड़ो सन्नाटा
आवाज़ इधर  आई ।
9
कस्तूरी खोज थके
बन-बन तुम भटके
पर पैर कहीं न रुके ।
10
ऊषा रानी आई
रजनी के आँसू
फूलों में रख लाई ।
11
सूरज तो था भोला
कैसे बदल गया
बन अनल -भरा गोला
-0-

6 टिप्‍पणियां:

  1. vividh bhav paripoorn sundar mahiya ...

    ऊषा रानी आई
    रजनी के आँसू
    फूलों में रख लाई ।...bahut hii sundar ....
    saadar naman ke saath
    jyotsna sharma

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...सुधा जी बहुत बधाई।

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  3. virah ke geet aaj n ga
    thapak rahi peeda
    ab aur aaj na rula....
    komal bhavo ki bahut hi sunder abhivyakti
    meenakshi jijivisha

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  4. तारे नभ में छिटके
    तेरी यादों के
    आँसू पलकों अटके ।

    Bahut sundar,tulna or kalpna hai..

    ऊषा रानी आई
    रजनी के आँसू
    फूलों में रख लाई ।

    ismen kalpana ki udaan adbhut hai...

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  5. क्या बात है...सभी बहुत भावपूर्ण...पर ये वाले तो बहुत छू गए मन को...

    तारे नभ में छिटके
    तेरी यादों के
    आँसू पलकों अटके ।

    विरहा का गीत न गा
    थपक रही पीड़ा
    अब और न आज रुला ।

    आँसू की धार बही
    बोल नहीं फूटे
    मन की ना एक कही ।

    बधाई...|

    प्रियंका

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