ऋता शेखर 'मधु'
1
बालक रोया
बस्ता चाहिए उसे
पिता मजबूर
दिल किया पत्थर
बनाया मजदूर ।
2
कोमल हाथ
चुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।
3
दिल के धनी
राजा औ' रंक बच्चे
देख लो फ़र्क
एक खरीदे जूता
पॉलिश
करे दूजा ।
4
गार्गी की बार्बी
कमली ललचाई
माँ ने पुकारा
बिटिया, इधर आ
बर्तन माँज ज़रा ।
5
कठोर दिल
कैसी माता है वह
काम की भूखी
बेटी को देती मैगी
कम्मो को रोटी सूखी ।
-0-
भावपूर्ण ताँका की सुन्दर प्रस्तुति ऋता शेखर जी बधाई।
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति ऋता जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर तांका
यहाँ पर स्थान देने के लिए सादर आभार...
जवाब देंहटाएंकृषणा जी...अनुपमा जी...शुक्रिया:)
कोमल हाथ
जवाब देंहटाएंचुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।
uf kitna marmik sunder chitran kiya hai aapne
rachana
बहुत मार्मिक...भावप्रवण...बधाई...|
जवाब देंहटाएंप्रियंका
बहुत सुन्दर भाव भरे ताँका ...बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंज्योत्स्ना शर्मा
कोमल हाथ
जवाब देंहटाएंचुभ गया था काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो बीनें कचरा ।.....सुन्दर भाव